सुशील पंडित, डेमोक्रेटिक फ्रंट, यमुनानगर, 25 मार्च :
सेंट लॉरेंस इंटरनेशनल स्कूल, व्यासपुर में क्रिटिकल एंड क्रिएटिव थिंकिंग” विषय पर दो दिवसीय इन-हाउस प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन चेयरपर्सन डॉ. रजनी सहगल की अध्यक्षता में संपन्न हुआ।
कार्यशाला का संचालन सीबीएसई प्रमाणित प्रशिक्षक पूजा बत्रा व प्रख्यात शिक्षाविद् डॉ एम. के. सहगल द्वारा किया गया। कार्यशाला का शुभारंभ विख्यात शिक्षाविद-डॉ. ऍम के सहगल, चेयरपर्सन- डॉ. रजनी सहगल व् सीबीएसई प्रमाणित रिसोर्स पर्सन पूजा बत्रा ने श्री गणेश व माँ सरस्वती जी की पूजा अर्चना और पुष्पांजलि के साथ कियाI प्रशिक्षक पूजा बत्रा ने शिक्षकों को आलोचनात्मक एवं रचनात्मक सोच के महत्व को समझाते हुए कहा कि आज की शिक्षा प्रणाली में केवल जानकारी देना पर्याप्त नहीं है, बल्कि यह आवश्यक है कि छात्र स्वयं सोचें, विश्लेषण करें और समाधान निकालें। इसके लिए शिक्षकों को नई तकनीकों को अपनाना होगा, जिससे वे विद्यार्थियों में तार्किक सोच और समस्या समाधान कौशल विकसित कर सकें। उन्होंने आगे कहा कि क्रिटिकल थिंकिंग छात्रों में विश्लेषण करने की क्षमता, तार्किक तर्क-वितर्क और उचित निर्णय लेने की योग्यता विकसित करने का एक प्रभावी तरीका है। क्रिएटिव थिंकिंग विद्यार्थियों को पारंपरिक तरीकों से हटकर, नए और अभिनव दृष्टिकोण से सोचने के लिए प्रेरित करती है। प्रैक्टिकल और इंटरैक्टिव सेशंस शिक्षकों को वास्तविक जीवन से जुड़े मामलों पर आधारित अध्ययन और चर्चाओं में शामिल करने में मददगार होते हैं, जिससे वे अपने शिक्षण को और अधिक प्रभावी बना सकते हैं। डॉ. एम. के. सहगल ने अपने आह्वान में कहा कि सी बी एस ई द्वारा आयोजित इस प्रकार की कार्यशालाएँ शिक्षकों की गुणवत्ता, अध्यापन कला एवं जीवन कौशल को सुधारने में सहायक होती हैं। शिक्षक सिर्फ ज्ञान प्रदान करने वाले नहीं, बल्कि छात्रों को सोचने, विश्लेषण करने और नवाचार करने के लिए प्रेरित करने वाले मार्गदर्शक होने चाहिए। शिक्षकों के लिए यह जरूरी है कि वे कक्षा में छात्रों की रुचि को बनाए रखने के लिए नई-नई तकनीकों का उपयोग करें। उन्होंने इस प्रशिक्षण के माध्यम से शिक्षकों को यह संदेश दिया कि यदि शिक्षण में नवीनता लाई जाए, तो न केवल छात्र अधिक रुचि से सीखेंगे, बल्कि वे जीवन में आने वाली चुनौतियों के समाधान के लिए भी तैयार रहेंगे। चेयरपर्सन डॉ रजनी सहगल ने अपने सन्देश में कहा कि आज की शिक्षा केवल किताबों तक सीमित नहीं रह सकती। हमें अपने शिक्षण में नवीन विचारों और आधुनिक शिक्षण पद्धतियों को शामिल करना होगा ताकि हमारे विद्यार्थी वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर सकें। यह प्रशिक्षण हमारे शिक्षकों को 21वीं सदी की आवश्यकताओं के अनुरूप तैयार करने में सहायक होगा।
प्रशिक्षण के अंत में आयोजित प्रश्नोत्तर सत्र में शिक्षकों ने खुलकर अपने विचार साझा किए और अपनी शंकाओं का समाधान प्राप्त किया। उन्होंने इस प्रशिक्षण को व्यावहारिक, रोचक और अत्यंत लाभकारी बताया। विद्यालय प्रशासन ने भविष्य में भी इसी तरह के नवाचार-आधारित प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने की प्रतिबद्धता जताई|