समय पर सम्पूर्ण टीकाकरण बच्चों के स्वस्थ जीवन के लिए वरदान: सिविल सर्जन डॉ. पवन कुमार शगोत्रा
तरसेम दीवाना, डेमोक्रेटिक फ्रंट, हुशियारपुर, 25 मार्च :
स्वास्थ्य विभाग द्वारा आज सिविल सर्जन कार्यालय में नियमित टीकाकरण पर एमओ हैंडबुक प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। जिला टीकाकरण अधिकारी के नेतृत्व में आयोजित इस प्रशिक्षण का रस्मी उद्घाटन माननीय सिविल सर्जन होशियारपुर डॉ. पवन कुमार शगोत्रा ने दीप प्रज्वलित करके किया। इस दौरान उनके साथ डॉ. अनीता कटारिया, वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी डॉ. कुलदीप सिंह, जिला कार्यक्रम प्रबंधक मोहम्मद आसिफ, डिप्टी मास मीडिया अधिकारी रमनदीप कौर, यूएनडीपी कार्यक्रम अधिकारी राजिंदर मौर्य, नवप्रीत कौर, दलजीत कौर तथा विभिन्न ब्लॉकों से आए चिकित्सा अधिकारी उपस्थित थे।
प्रशिक्षण के औपचारिक शुभारंभ पर बोलते हुए सिविल सर्जन डॉ. पवन कुमार ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग की टीकाकरण व्यवस्था काफी मजबूत है। बच्चों को 11 घातक बीमारियों से बचाने के लिए टीकाकरण आवश्यक है और हर बच्चे को इसकी सुविधा मिलनी चाहिए। समय पर और पूर्ण टीकाकरण बच्चों के स्वस्थ जीवन के लिए वरदान है।
जिला टीकाकरण अधिकारी ग्राम स्तर तक किए जाने वाले टीकाकरण को और अधिक सुचारू बनाने के लिए चिकित्सा अधिकारियों को सेफ इंफेक्शन प्रैक्टिसज़, कोल्ड चेन प्रबंधन, एईएफआई प्रबंधन, वीपीडी निगरानी तथा बच्चों के ऑनलाइन टीकाकरण के लिए यू-विन ऐप पर विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से बड़े ही प्रभावी ढंग से विस्तृत जानकारी प्रदान की। प्रतिभागियों ने भी टीकाकरण गतिविधियों में भाग लिया। एएनएम स्कूल के विद्यार्थियों द्वारा टीकाकरण पर एक गतिविधि आयोजित की गई। यूएनडीपी कार्यक्रम अधिकारी राजिंदर मौर्य, एलएचवी राजविंदर कौर और एएनएम हरिंदर कौर ने कोल्ड चेन प्रबंधन पर प्रशिक्षण के दौरान अपना पूरा सहयोग दिया। बोयो वेस्ट मैनेजमैंट पर प्रतिभागियों द्वारा आयोजित गतिविधि के दौरान, एएचए डॉ. शिप्रा धीमान ने इस बारे में विस्तृत जानकारी साझा की।
प्रशिक्षण के अंत में डॉ ने सभी चिकित्सा अधिकारियों से कहा कि वे अपने फील्ड स्टाफ के माध्यम से “5 साल 7 बार, भूल न जाना एक भी बार” का संदेश प्रत्येक लाभार्थी तक
पहुंचे के लिए कहा ताकि पांच वर्ष तक का कोई भी बच्चा टीकाकरण से वंचित न रहे। उन्होंने यह भी बताया कि 24 से 29 मार्च तक विशेष टीकाकरण सप्ताह मनाया जा रहा है। इसका उद्देश्य 0 से 5 वर्ष तक के उन बच्चों को शामिल करना है जिनका टीकाकरण अधूरा रह गया है।