Friday, March 21

पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य करान चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं : तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।

डेमोक्रेटिक फ्रंट, आध्यात्मिक डेस्क – पंचांग, 21 मार्च 2025

नोटः आज शीतला सप्तमी पूजा तथा मेला शीतला माता कुराली है।

शीतला सप्तमी का पर्व होली के सात दिन बाद मनाया जाता है, जिसे बसौड़ा भी कहा जाता है। यह विशेष दिन शीतला माता की पूजा का होता है, जो भक्तों को बीमारियों से सुरक्षा और परिवार में सुख-शांति का आशीर्वाद देती हैं। शीतला माता को ठंडक प्रदान करने वाली देवी माना जाता है, और उनका पूजन खासकर ग्रीष्मकाल के आगमन से पहले किया जाता है, ताकि शरीर में ठंडक बनी रहे और त्वचा संबंधित बीमारियों से बचाव हो सके। इस दिन बासी भोजन का भोग शीतला माता को अर्पित किया जाता है, जो एक दिन पहले तैयार किया जाता है।

दफ्फरपुर, पंजाब में आज, 21 मार्च 2025 को, शीतला माता का मेला, जिसे शीतला सप्तमी भी कहा जाता है, मनाया जा रहा है। यह मेला चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को लगता है।

विक्रमी सवत्ः 2081, 

शक संवत्ः 1946, 

मासः चैत्ऱ 

पक्षः कृष्ण, 

तिथिः सप्तमी रात्रि काल 04.24 तक है, 

वारः शुक्रवार।

नोटः आज पश्चिम दिशा की यात्रा न करें। शुक्रवार को अति आवश्यक होने पर सफेद चंदन, शंख, देशी घी का दान देकर यात्रा करें।

नक्षत्रः ज्येष्ठा रात्रि काल 01.46 तक है, 

योग सिद्धि सांय काल 06.42 तक है, 

करणः विष्टि, 

सूर्य राशिः मीन, चन्द्र राशिः वृश्चिक,

राहू कालः प्रातः 10.30 बजे से दोपहर 12.00 बजे तक,

सूर्योदयः 06.28, सूर्यास्तः 06.29 बजे।