Friday, March 21

सनातन धर्म केवल मूल्यों की बात करता है और इसे पालन करने वाले व्यक्ति की बुद्धि पर छोड़ देता है। यह आलोचना नहीं करता है। सनातन  धर्म जब तक कि कोई समाज या राष्ट्र को हानि न पहुँचा रहा हो, जानवरों सहित किसी को भी चोट न पहुँचाने, सब से प्रेम करने व किसी से भी घृणा न करने  एवं सदा सत्य वचन बोलने का सन्देश देता है। यह दृढ़ता से कर्म सिद्धांत पर काम करता है।

  • सनातन धर्म में सब कुछ केवल विज्ञान है जिसे पश्चिमी दुनिया अब धीरे-धीरे अनुभव  कर रही है : प्रो. डॉ. बीडी पटेल
  • सेवा धाम द्वारा किशोरों के लिए सनातन धर्म के मूल सिद्धांत विषय पर इंटरैक्टिव सत्र आयोजित 

डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़, 21 मार्च :

सेवा धाम, सेक्टर 29 द्वारा 12 से 15 वर्ष की आयुवर्ग के किशोर बच्चों के साथ एक इंटरैक्टिव सत्र सनातन धर्म के मूल सिद्धांत का आयोजन किया गया जिसमें सरकारी होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज और अस्पताल, बेंगलुरु के पूर्व प्राचार्य प्रो. डॉ. बीडी पटेल मुख्य वक्ता थे। 

उन्होंने स्वामी चिन्मयानंद के सनातन धर्म के कथन से शुरुआत की कि यह मज़हब नहीं, बल्कि विज्ञान है, क्योंकि विज्ञान किसी एक व्यक्ति का नहीं है या किसी एक व्यक्ति द्वारा शुरू नहीं किया गया है और यह किसी एक व्यक्ति के स्वामित्व में नहीं है। लोग विज्ञान में योगदान करते रहते हैं। सनातन धर्म में महान संतों से लेकर आधुनिक युग के समाज सुधारकों जैसे दयानंद सरस्वती, गुरु नानक जी, महावीर, गौतम बुद्ध, कबीर आदि ने योगदान दिया। सनातन धर्म मुक्ति का मार्ग है। सनातन धर्म यानी सदा आयतनम् – सदा नूतनम् – इति सनातनम् – न पुरातनम्।

वक्ता ने कहा कि सनातन धर्म किसी एक सिद्धांत,किसी एक व्यक्ति, किसी एक स्थान एवं किसी एक समय पर आधारित नहीं है। यह आध्यात्मिक अनुभव पर आधारित है और तर्क के अधीन है।

उनके मुताबिक शिव शक्ति रचनात्मक ऊर्जा के अव्यक्त और व्यक्त का चित्रण है। वर्ष 2013 में सर्न प्रयोगशाला में किए गए परीक्षण में उत्पन्न हुई ऊर्जा, जिसे गॉड पार्टिकल का नाम दिया गया था, उसका केनोपनिषद में स्पष्ट रूप से वर्णन किया गया है। वैदिक साहित्य में वेद, श्रुति, स्मृति, उपनिषद, पुराण, इतिहास आदि शामिल हैं। मूल प्रणव, ओम है, जिसे गूंगे व्यक्ति सहित कोई भी व्यक्ति बोल सकता है क्योंकि ओम बोलने में जीभ के अतिरिक्त भी बोला जा सकता है।

सनातन धर्म केवल मूल्यों की बात करता है और इसे पालन करने वाले व्यक्ति की बुद्धि पर छोड़ देता है। यह आलोचना नहीं करता है। सनातन  धर्म जब तक कि कोई समाज या राष्ट्र को हानि न पहुँचा रहा हो, जानवरों सहित किसी को भी चोट न पहुँचाने, सब से प्रेम करने व किसी से भी घृणा न करने  एवं सदा सत्य वचन बोलने का सन्देश देता है। यह दृढ़ता से कर्म सिद्धांत पर काम करता है।

उन्होंने जाति व्यवस्था को स्पष्ट रूप से समझाया जो केवल व्यक्तियों के कार्यों और उनकी क्षमता पर आधारित है, बड़ी सुंदरता से समझाया कि कृष्ण भगवद गीता के साथ अर्जुन को ज्ञान देते समय ब्राह्मण थे, जब उन्होंने दूध बेचा और पैसा कमाया तो वे वैश्य थे, जब उन्होंने कंस को मारा तो वे क्षत्रिय थे और जब वे अर्जुन के रथ के चालक थे तो वे शूद्र थे। एक व्यक्ति अपने कर्म के आधार पर कुछ भी हो सकता है। कोई भी बिना किसी बंधन या शर्त के सनातन धर्म का पालन कर सकता है। यह सार्वभौमिक है।

यह केवल सनातन धर्म है जिसने पंच कोश सिद्धांत दिया, 33 कोटि देवताओं का सही अर्थ समझाया। यह सनातन धर्म है जिसने स्वस्थ मन और शरीर के लिए योग की अवधारणा दी और कोई भी इसका पालन कर सकता है।

उन्होंने बताया, कि 2016 में जापानी वैज्ञानिक को ऑटोफैजिक क्रिया द्वारा इम्युनिटी बढ़ाने और बीमारियों से उभरने में सहायता करने के लिए उपवास को साबित करने के लिए नोबेल पुरस्कार मिला। जिसकी सलाह सनातन धर्म एकादशी उपवास के रूप में देता है जो वैज्ञानिक है और भारतीय ऋषियों को हजारों साल पहले से पता था। उन्होंने यह भी कहा कि उठक-बैठक जिसे स्कूलों में सजा के रूप में दिया जाता है, एक सुपर ब्रेन योग है जो मस्तिष्क की स्मृति और धारण क्षमता में सुधार करता है। इसलिए सनातन धर्म में सब कुछ केवल विज्ञान है जिसे पश्चिमी दुनिया अब धीरे-धीरे अनुभव  कर रही है। उन्होंने कहा कि कई मंत्र कोडेड सूत्र हैं जिनकी हमें जांच करनी चाहिए। सनातन धर्म कहता है कि भगवान निराकार हैं लेकिन आपकी भक्ति से हम साकार के रूप में देख सकते हैं अंततः उन्होंने कहा कि सनातन धर्म में हर क्रिया – जागने से लेकर सोने तक आध्यात्मिक है, जिसमें शरीर छोड़ना भी शामिल है। 

इस अवसर पर सेवा भारती, चण्डीगढ़ के अध्यक्ष राजेंद्र कुमार जैन ने कहा कि ये सत्र बेहद उपयोगी रहा क्योंकि किशोरों के साथ-साथ बड़े भी  कई मूल सिद्धांतों से अनभिज्ञ थे तथा कई गलत या भ्रामक राय स्पष्ट हुईं। वक्ता ने हमें सनातन धर्म को देखने के लिए एक नई दिशा और नई दृष्टिकोण दिया है।