कहा- इस सरकार ने प्रदेश पर चढ़ाया 5,16,007 करोड़ का कर्जा
डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़, 20 मार्च :
विकास पर फुल स्टॉप और कर्जा, क्राइम, करप्शन नॉन स्टॉप। यही बीजेपी सरकार की पहचान बन गई है। ये कहना है पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का। हुड्डा अपने आवास पर पत्रकार वार्ता को संबोधित कर रहे थे। इस मौके पर उन्होंने कहा कि बीजेपी ने प्रदेश पर 5,16,007 करोड़ का कर्जा चढ़ा दिया है। 1966 से लेकर 2014-15 तक प्रदेश पर मात्र 70,000 करोड रुपए का आंतरिक कर्ज था, जो आज 3,52,819 आंतरिक कर्ज, 48,000 स्माल सेविंग, 68,995 करोड़ पब्लिक सेक्टर एंटरप्राइजेज और 46193 करोड़ की अन्य लायबिलिटी, पेंडिंग बिल इत्यादि मिलाकर 5,16,007 करोड़ रुपए हो चुका है।
हुड्डा ने कहा कि सरकार द्वारा बजट में 7.9 प्रतिशत की बढ़ोतरी का दावा किया गया है, जोकि पूरी तरह गलत है। क्योंकि इस बार सरकार ने 2,05,017 करोड रुपए का बजट पेश किया गया है और पिछली बार 1,89,876 करोड रुपए का पेश किया। जबकि प्रदेश में महंगाई दर 4.8 प्रतिशत है। यानी बजट में कुल बढ़ोतरी मात्रा 3.5% हुई है नाकि 7.9 प्रतिशत।
सरकार द्वारा दावा किया गया है कि प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय 3,53,182 हो गई है। जबकि परिवार पहचान पत्र के आंकड़े बताते हैं कि प्रदेश में 70% से ज्यादा लोग गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे हैं। यानी पारिवारिक आय 1,80,000 रुपए से कम है।
बीजेपी ने प्रदेश की आर्थिक हालत इस कद्र खस्ताहाल कर दी है कि सरकार के पास पूंजीगत व्यय के लिए बजट ही नहीं है। क्योंकि सरकार ने कुल आया 1,27,817 करोड रुपए दिखाई है। इसमें से 1,09,700 करोड रुपए सैलरी, पेंशन और कर्ज व उसके ब्याज के भुगतान में चली जाती है। यानी 85.8 प्रतिशत राशि इसी में खर्च हो जाती है। सरकार ने राजस्व व्यय 1,48,416 करोड़ दिखाया है। यानी प्रदेश के पास इतनी आय नहीं है कि वह अपने खर्च भी वहन कर सके। किसी भी खर्च के लिए सरकार कर्ज के ऊपर आश्रित है। इसलिए सरकार आंतरिक श्रृण में 71,350 करोड रुपए की और बढ़ोतरी करने जा रही है। यानी जितना कर्ज 1966 से लेकर 2014 तक तमाम सरकारों ने मिलकर लिया था, उतना कर्ज बीजेपी मात्र एक साल के भीतर लेने जा रही है।
लेकिन इससे भी चिंताजनक तथ्य ये है कि पहले के लोन की अदायगी (मूलधन- ₹35,788 करोड़ व ब्याज- 26,531 करोड़) पर ही कुल 61,230 करोड रुपए खर्च हो रहे हैं। यानी कर्ज लेने के बाद भी सरकार के हाथ में मुश्किल से 10,212 करोड रुपए ही बचेंगे।बजट अनुसार कुल बजट का 8% ही कैपिटल एक्सपेंडिचर है। इतनी राशि से सरकार की एक भी बड़ी योजना सिरे नहीं चढ़ सकती।
उदाहरण के लिए बीजेपी ने प्रत्येक महिला को ₹2100 महीना देने का वादा किया है। आज प्रदेश में लगभग एक करोड़ महिला वोटर हैं। उनको हर महीने ₹2100 देने के लिए सरकार को लगभग 2100 करोड़ के बजट की आवश्यकता है और पूरे साल के लिए लगभग 25000 करोड़ के बजट की जरूरत पड़ेगी। लेकिन सरकार ने इस बजट में मात्र 5000 करोड़ इस योजना के लिए प्रस्तावित किए हैं। यह समझ से परे है कि सरकार मात्र 5000 करोड़ के बजट में 1 साल तक 1 करोड़ महिलाओं को हर महीने ₹2100 कैसे देगी?
हुड्डा ने कहा कि बीजेपी अर्थव्यवस्था के किसी भी मानक पर कांग्रेस के मुकाबले कहीं भी नहीं ठहरती। क्योंकि 2005-06 से लेकर 2014-15 तक हरियाणा की सकल घरेलू उत्पाद में 17.6% सालाना की बढ़ोतरी हुई। जबकि 2014-15 से लेकर 2024-25 के बीच में मात्र 10.6 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। अगर कर्ज की बात की जाए तो 2005-06 से 2014-15 के बीच में 13.01% सालाना की बढ़ोतरी हुई। जबकि 2014-15 से 2024-25 के बीच में 18.01% की बढ़ोतरी हुई। जीएसपी और कर्ज के अनुपात को देखा जाए तो 200506 में यह 24.1% था, जिसे कांग्रेस सरकार ने घटकर 2014-15 तक 14.6% किया। लेकिन इसे भाजपा ने वापस 2025-26 तक बढ़कर 26.3 प्रतिशत कर दिया।
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि सरकार द्वारा 24 फसलों पर एमएसपी देने के दावे की पोल एक बार फिर खुल गई है। क्योंकि सरकार किसानों को सरसों का एमएसपी नहीं दे रही है। हमारे पास एक किसान की सरसों खरीद की रसीद है। सरसों की एमएसपी 5960 है, लेकिन मंडी में खरीद 5400 में की जा रही है यानी किसानों को ₹500 प्रति क्विंटल का घाटा हो रहा है। पिछली बार धान की खरीद भी एमएसपी से कम रेट पर की गई और इस बार सरसों की खरीद में भी किसानों को लूटने का खेल शुरू हो गया है।
बीजेपी ने चुनाव से पहले किसानों को धान और गेहूं जैसी फसलों पर एमएसपी से भी ज्यादा रेट देने का वादा किया था। धान की फसल पर बीजेपी ने ₹3100 रेट का वादा किया था। ना बीजेपी ने सरकार बनने के बाद यह वादा निभाया और ना ही इस बार के बजट में ऐसा कोई प्रावधान रखा।
खुद सरकार द्वारा पेश किए आर्थिक सर्वेक्षण में दिए गए आंकड़ों से स्पष्ट है कि सरकार ने किसी भी फसल की खरीद एमएसपी पर नहीं की है। सरकार ने मात्र 61% सरसों, 55% गेहूं, 25% मूंग, 18% जो, 9% कपास, सिर्फ 29 और 23% बाजरा व मक्की की एमएसपी पर खरीद की है। सूरजमुखी की एमएसपी पर खरीद सिर्फ 5% हुई है। खुद सरकारी दस्तावेज बता रहे हैं कि यह सरकार ज्यादातर किसानों को ज्यादातर फसलों पर एमएसपी नहीं दे रही है।
प्रधानमंत्री फसल बीमा का कड़वा सच भी आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 में स्पष्ट नजर आ रहा है। आंकड़े बताते हैं कि सरकार ने अब तक लगभग 62% यानी 588 करोड़ रुपए का मुआवजा किसानों को नहीं दिया है।
पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि ये सरकार खनन में बड़े घोटाले को अंजाम दे रही है। सीएजी से लेकर हाईकोर्ट तक की टिप्पणियां स्पष्ट बता रही हैं कि खनन में हजारों करोड़ का घोटाला हो रहा है।
पंजाब सरकार द्वारा किसानों के धरने को बलपूर्वक खत्म करवाने को हुड्डा ने निंदनीय बताया। उन्होंने कहा कि किसानों को अनसुना करना और दिल्ली जाने से रोकना पूरी तरह अलोकतांत्रिक है। सरकार को उनकी मांगें मानते हुए एमएसपी की गारंटी देनी चाहिए।