Wednesday, March 19

जगदीश असीजा, डेमोक्रेटिक फ्रंट, उकलाना, 19 मार्च :

“ऋषि जीवन सच्चे धर्म और आत्मशुद्धि की राह दिखाता है।” यह बात जैन संत उपेंद्र मुनि जी महाराज ने  जैन स्थानक उकलाना में प्रवचन करते हुए कही। जैन संत उपेंद्र मुनि  महाराज ने ऋषि जीवन के महत्व पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि “ऋषि और देश दोनों समान रूप से सम्मान्य हैं।”

उन्होंने कहा कि ऋषि का जीवन दिव्य और अनुकरणीय होता है। वह आत्मा की शुद्धि, सत्य, प्रेम, न्याय और धर्म की रक्षा के लिए समर्पित रहता है। उन्होंने बताया कि ऋषि वे होते हैं जो समाज का मार्गदर्शन करते हैं और धर्म के सच्चे स्वरूप की रक्षा करते हैं। उनका जीवन किसी भी प्रकार के भोग-विलास, आडंबर, अनावश्यक संग्रह और व्यसनों से मुक्त होता है।

उन्होंने कहा, “ऋषि समाज के लिए भविष्य दृष्टा होते हैं। वे संपूर्ण मानवता के लिए उपयोगी होते हैं और समाज को चेतावनी देकर सही मार्ग दिखाते हैं। वे अपने ज्ञान और तपस्या से समाज में धर्म की अलख जगाते हैं तथा लोगों को सन्मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं।”

संत उपेंद्र मुनि  ने बताया कि सच्चे ऋषि वे होते हैं जो धर्म के नाम पर हो रहे अधर्म का विरोध करते हैं और समाज को पाप व अधर्म के रास्ते से हटाकर धर्म की राह पर लाते हैं। ऋषि जीवन क्षमा, दया, करुणा, सेवा, मैत्री, विश्वबंधुत्व और सहिष्णुता से परिपूर्ण होता है।

उन्होंने कहा कि “ऋषि आत्मानुभूति के मार्गदर्शक, पाप विशोधक और बोध प्राप्ति के केंद्र होते हैं। उनका जीवन देवताओं के समान होता है, जिसमें भगवत्स्पर्शी ज्ञान, वात्सल्यपूर्ण हृदय, उदार वृत्ति और तेजस्विता होती है।”

संत उपेंद्र मुनि  ने प्रवचन के दौरान सभी श्रद्धालुओं से आग्रह किया कि वे ऋषियों के पवित्र जीवन से प्रेरणा लें और उनके मार्गदर्शन में अपने जीवन की जटिल समस्याओं का समाधान प्राप्त करें। उन्होंने धर्मबोध प्राप्त करने का संदेश देते हुए कहा कि “ऋषि जीवन सच्चे धर्म और आत्मशुद्धि की राह दिखाता है।”