2017 में लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड व मोहयाल गौरव पुरस्कार से सम्मानित जेपी मेहता की श्रद्धांजलि सभा में सैंकड़ों लोग उमड़े
डेमोक्रेटिक फ्रंट
अंबाला।
भारतीय वायु सेना के जबांज अधिकारी और 2017 में दिल्ली में जीएमएस के 125वं स्थापना दिवस के दौरान अचीवमेंट अवार्ड व 2022 में मोहयाल गौरव पुरस्कार से सम्मानित हो चुके जेपी मेहता मरकर भी अमर हो गए क्योंकि उन्होंने अपना पार्थिव शरीर पीजीआई को सौंपा और यह काम कर उन्होंने अपने आप को संत महात्माओं से भी बड़ा बना लिया उपरोक्त शब्द एंटी टेरोरिस्ट फ्रंट इंडिया व ब्राहामण महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीरेश शांडिल्य ने जेपी महेता की श्रद्धांजलि सभा में एकत्रित सैंकड़ों लोगों को संबोधित करते हुए कहे। 11 मई 1944 को गुजरात के छोरा वाला में जन्में स्व. जेपी मेहता ने न केवल वायु सेना के अधिकारी के रूप में ऐतिहासिक सेवाएं दी बल्कि अपने मोहयाल समाज के साथ साथ हर वर्ग का भला किया और समाज का उत्थान करने में उनकी अहम भूमिका थी। वीरेश शांडिल्य ने कहा कि अपना पार्थिव शरीर पीजीआई को देकर यह संदेश दे गए कि जिंदा रहने के मौसम बहुत हैं मगर जान देने की रूत रोज आती नहीं। वीरेश शांडिल्य ने कहा कि वह मर कर भी समाज का भला सोच रहे थे ऐसी आत्माएं कभी मरा नहीं करती वह तो हमारे अंग संग रहती हैं। वीरेश शांडिल्य ने श्रद्धांजलि सभा में कहा कि वह हमेशा जेपी मेहता की पत्नी नीलम मेहता, बेटे संदीप बख्शी के आवाज पर उनके साथ खड़े मिलेंगे। साथ ही वीरेश शांडिल्य ने कहा कि वह उस मां की कोख भी नमन करते हैं जिस कोख से जेपी मेहता जैसे योद्धा व समाजसेवी ने जन्म लिया। इस मौके पर एडवोकेट साहिल वैद्य ने भी जेपी मेहता को श्रद्धांजलि दी। इस मौके पर अश्विनी बख्शी, विनोद दत्त, पीके दत्ता, योगेश मेहता, रमेश दत्ता व मेयर सैलजा सचदेवा, एडवोकेट संदीप सचदेवा, पत्रकार शिव रंजन सहित पानीपत, करनाल, कुरूक्षेत्र, जगाधरी बराड़ा, यमुनानगर, अंबाला कैंट, पंचकूला, फरीदाबाद, चंडीगढ़, नारायणगढ़, खन्ना, लुधियाना, होशियार पुर, मोहयाल समाज के उद्योगपति व समाजसेवी मौजूद रहे। जेपी मेहता का उदय 11 मई 1944 व अस्त 8 मार्च 2025 को हुआ। जेपी मेहता अपने पीछे पत्नी नीलम मेहता, बेटे संदीप मेहता, पुत्रवधु रीतू मेहता, बेटी संगीता, रजनी, दामाद भूपेंद्र, राजीव व दीक्षा, मुस्कान, अंकुर, महक, सरीना, रिशभ, मान्या, मेहता व रिषभ वैद्य सहित पोते, पोतिया, दोहती सहित हरा भरा परिवार छोड़ गए हैं।