पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य करान चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं : तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।
डेमोक्रेटिक फ्रंट, आध्यात्मिक डेस्क – पंचांग, 13 मार्च 2025
नोटः आज होलिका दहन है। श्री सत्य नारायण व्रत कथा एवं पूजन है। तथा आज वृषदान एवं लक्ष्मीनारायण व्रत है।

पुराणों के अनुसार सत्यनारायण कथा करने से हजारों वर्षों के यज्ञ के बराबर फल मिलता है। सत्यनारायण कथा को सुनने से भी सौभाग्य की प्राप्ति होती है। पौराणिक कथा के अनुसार सत्यनारायण कथा को सुनने वाले को उपवास अवश्य करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि श्री हरि विष्णु इससे जीवन की सभी समस्याओं को दूर करने में सक्षम हैं। स्कंद पुराण के अनुसार सत्यनारायण भगवान विष्णु का स्वरुप है। कहा जाता है कि ऐसी स्थिति में सत्यनारायण कथा सुनने और करने से भगवान विष्णु भक्त पर कृपा करते हैं। ऐसा कहा जाता है कि यह हर किसी के जीवन में खुशी और शांति लाते हैं।

लक्ष्मी नारायण व्रत में देवी श्री लक्ष्मी और भगवान नारायण की संयुक्त रुप पूजा की जाती है। इस पूजा को करने से घर में धन संपदा की कभी कमी नहीं आती है। श्री लक्ष्मी नारायण व्रत दरिद्रता को दूर करने का एक अचूक उपाय भी बनता है। इस दिन घर में पूजा पाठ के साथ साथ हवन इत्यादि अनुष्ठान भी करने से संपन्नता के द्वार खुलते हैं।

होलिका दहन : यदि दिन की भद्रा रात में और रात की भद्रा दिन में आ जाए, ऐसी भद्रा को शुभ फल देने वाली माना जाता है। होलिका दहन का रहस्य है बुराई पर अच्छाई की जीत। प्रहलाद भक्त को मृत्यु दंड देने के लिए बहुत से उपाय हिरण्यकशिपु राक्षस द्वारा किए गए। उनमें एक होलिका भी थी। होलिका जिसको अपने गोद में लेकर बैठ जाती और अग्नि में प्रवेश कर जाती थी, तो होलिका तो बच जाती थी परंतु गोद में लिया हुआ प्राणी नहीं बच पाता था। परंतु जब होलिका प्रहलाद भक्त को अपने गोद में लेकर बैठी और अग्नि जलाई गई तो होलिका जल गई और प्रहलाद जी भगवान की कृपा से बच गए। इसका मतलब यही है कि जो किसी का बुरा करता है या सोचता है उसका खुद का बुरा हो जाता है।
विक्रमी सवत्ः 2081,
शक संवत्ः 1946,
मासः फाल्गुऩ
पक्षः शुक्ल,
तिथिः चतुर्दशी प्रातः काल 10.36 तक है,
वारः गुरूवार।
नोटः आज दक्षिण दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर गुरूवार को दही पूरी खाकर और माथे में पीला चंदन केसर के साथ लगाये और इन्हीं वस्तुओं का दान योग्य ब्रह्मण को देकर यात्रा करें।
नक्षत्रः पूर्वाफाल्गुनी अरूणोदय काल 06.20 तक है,
योग वैधृति़ दोपहर काल 01.03 तक है,
करणः वणिज,
सूर्य राशिः कुम्भ, चन्द्र राशिः सिंह,
राहू कालः दोपहर 1.30 से 3.00 बजे तक,
सूर्योदयः 06.37, सूर्यास्तः 06.24 बजे।