पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य करान चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं : तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।
डेमोक्रेटिक फ्रंट, आध्यात्मिक डेस्क – पंचांग, 06 मार्च 2025
विक्रमी सवत्ः 2081, शक संवत्ः 1946, मासः फाल्गुऩ पक्षः शुक्ल, तिथिः सप्तमी प्रातः काल 10.51 तक है, वारः गुरूवार।
नोटः आज दक्षिण दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर गुरूवार को दही पूरी खाकर और माथे में पीला चंदन केसर के साथ लगाये और इन्हीं वस्तुओं का दान योग्य ब्रह्मण को देकर यात्रा करें।
नक्षत्रः रोहिणी रात्रि काल 12.06 तक है, योग विष्कुम्भक रात्रि काल 08.29 तक है, करणः वणिज,
सूर्य राशिः कुम्भ, चन्द्र राशिः वृष,
राहू कालः दोपहर 1.30 से 3.00 बजे तक,
सूर्योदयः 06.45, सूर्यास्तः 06.20 बजे।