पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य करान चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं : तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।
डेमोक्रेटिक फ्रंट, आध्यात्मिक डेस्क – पंचांग, 26 फरवरी 2025
नोटः आज भगवान महाशिव रात्रि व्रत एवं पूजन है। यह वह रात है जब शिव और पार्वती का विवाह हुआ था । एक अन्य किंवदंती के अनुसार शिव के प्रतीक, जैसे कि लिंग, को चढ़ावा चढ़ाना पिछले पापों को दूर करने, पुण्य पथ पर फिर से चलने और इस तरह मुक्ति के लिए कैलाश पर्वत तक पहुँचने का एक वार्षिक अवसर है।
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नोटः आज रात्रि काल 04.37 पंचक प्रारम्भ हो रहे हैं, ज्योतिष के मुताबिक, जब चंद्रमा कुंभ और मीन राशि में रहता है, तब उस समय को पंचक कहते हैं. पंचक को अशुभ और हानिकारक नक्षत्रों का योग माना जाता है. पंचक में शुभ काम करने की मनाही होती है पंचक काल में तृण, काष्ठ, धातु का संचय व भवन निर्माण और नवीन कार्य तथा यात्रा आदि कर्म वर्जित होते हैं।पंचक काल में शव दाह का भी निषेध होता है।चूंकि शव को इतनी लंबी अवधि हेतु रोकना देश काल परिस्थिति के अनुसार मुश्किल हैं, अतः योग्य वैदिक ब्रह्मण की सलाह लेकर पंच पुतलों का दाह और पंचक नक्षत्रों की शांति विधि पूर्वक करानी चाहिए। क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि मृतक व्यक्ति के परिवार व संबंधियों में से ही पॉच व्यक्तियों के अकालमृत्यु होने की आशंका बनी रहती है।
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विक्रमी सवत्ः 2081,
शक संवत्ः 1946,
मासः फाल्गुऩ
पक्षः कृष्ण,
तिथिः त्रयोदशी प्रातः काल 11.09 तक है,
वारः बुधवार।
नोटः आज उत्तर दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर बुधवार को राई का दान, लाल सरसों का दान देकर यात्रा करें।
नक्षत्रः श्रवण सांय काल 05.23 तक है,
योग परिघ प्रातः काल 02.57 तक है,
करणः वणिज,
सूर्य राशिः कुम्भ, चन्द्र राशिः मकर,
राहू कालः दोपहर 12.00 बजे से 1.30 बजे तक,
सूर्योदयः 06.53, सूर्यास्तः 06.15 बजे।