पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य करान चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं : तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।
डेमोक्रेटिक फ्रंट, आध्यात्मिक डेस्क – पंचांग, 11 जनवरी 2025
नोटः आज शनि प्रदोष व्रत है सर्वार्थ सिद्धि योग है।
सर्वार्थसिद्धि योग ऐसा योग है, जिसमें यदि किसी कार्य का आरंभ किया जाए तो उससे विशेष लाभ मिलता है। जब कोई विशेष मुहूर्त नहीं मिलता तब इस योग के साथ में शुभ,लाभ,अमृत की चौघड़िया के समावेश में कार्य करने से सभी प्रकार के कार्यो में सफलता मिलती है।
शनि प्रदोष व्रत है : साल का पहला शनि प्रदोष व्रत 11 जनवरी 2025 को पड़ रहा है। यह व्रत शनिवार को है, इसलिए इसे शनि प्रदोष व्रत कहा जाता है। यह तिथि 11 जनवरी को सुबह 8:21 बजे शुरू होकर 12 जनवरी को सुबह 6:33 बजे समाप्त होगी।
नोटः त्रयोदशी तिथि का क्षय है। : किसी तिथि का क्षय या वृद्धि होना सूर्योदय पर निर्भर करता है। कोई तिथि, सूर्योदय से पूर्व आरंभ हो जाती है और अगले सूर्योदय के बाद तक रहती है तो उस तिथि की वृद्धि हो जाती है अर्थात् वह वृद्धि तिथि कहलाती है लेकिन यदि कोई तिथि सूर्योदय के बाद आरंभ हो और अगले सूर्योदय से पूर्व ही समाप्त हो जाती है तो उस तिथि का क्षय हो जाता है अर्थात् वह क्षय तिथि कहलाती है।
विक्रमी संवत्ः 2081,
शक संवत्ः 1946,
मासः पौष़
पक्षः शुक्ल,
तिथिः द्वादशी प्रातः काल 08.22 तक है,
वारः शनिवार।
नोटः आज पूर्व दिशा की यात्रा न करें। शनिवार को देशी घी, गुड़, सरसों का तेल का दानदेकर यात्रा करें।
नक्षत्रः रोहिणी दोपहर काल 12.29 तक है,
योग शुक्ल प्रातः काल 11.48 तक है,
करणः बालव,
सूर्य राशिः धनु, चन्द्र राशिः वृष,
राहू कालः प्रातः 9.00 बजे से प्रातः 10.30 तक,
सूर्योदयः 07.19, सूर्यास्तः 05.39 बजे।