पद्मश्री विश्व प्रख्यात पंजाबी उपन्यासकार प्रो. गुरदयाल सिंह दिवस मनाया गया, बड़ी संख्या में गणमान्य व्यक्तियों ने किया याद
रघुनंदन पराशर, डेमोक्रेटिक फ्रंट, जैतो, 10 जनवरी :
प्रसिद्ध पंजाबी लेखक पद्मश्री प्रो. गुरदयाल सिंह के साहित्यिक योगदान को श्रद्धांजलि देने के लिए क्षेत्र के साहित्य प्रेमियों और कार्यकर्ता संगठनों द्वारा गुरदयाल सिंह दिवस मनाने के लिए यहां नामदेव भवन में एक समागम का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर समागम के मुख्य वक्ता डॉ. रविन्द्र रवि ने प्रोफेसर गुरदयाल सिंह के जीवन में आई कठिनाइयों, उनके बचपन से लेकर साहित्य सृजन की यात्रा तक की चर्चा की। गुरदयाल सिंह के साहित्य को पढ़ने और उसे अपने व्यावहारिक जीवन में लागू करने की आवश्यकता है। उन्होंने विशेष रूप से इस बात पर जोर दिया कि जिन लोगों के लिए उन्होंने लिखा वे कम पढ़ रहे हैं, लेकिन जो लोग हम पर शासन कर रहे हैं वे उनके साहित्य का अधिक उपयोग कर रहे हैं। डॉ. रवि ने बताया कि गुरदयाल सिंह अपने जीवन के शुरुआती दौर में मजदूरी करते थे और काम करते हुए ही उन्होंने साहित्य सृजन की ओर रुख किया। गुरदयाल सिंह के उपन्यास सामंतवाद से पूंजीवाद तक की यात्रा करते हैं। उन्होंने कहा कि उनकी साहित्यिक रचनाएं समाज के उत्पीड़ित और दलित लोगों की आवाज उठाती हैं।
रविन्द्र सेवेवाला ने उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए कहा कि आज का यह आयोजन “गुरशरण सिंह लोक कला सलाम कफला” की परम्परा को आगे बढ़ाने का एक प्रयास है। ये कार्यक्रम लोकप्रिय लेखकों के साहित्यिक योगदान को श्रद्धांजलि देने के लिए समय-समय पर सलाम काफला द्वारा आयोजित किए जाते हैं। इसके परिणामस्वरूप प्रोफेसर गुरदयाल सिंह के जन्मदिन को “गुरदयाल सिंह दिवस” के रूप में मनाने की परंपरा स्थापित हुई है।
उन्होंने कहा कि वर्ग-विभाजित समाज में कला दो भागों में बंटी हुई है। कला जन-समर्थक कला है। एक कला जनविरोधी कला है।गुरदयाल सिंह की कला जन-समर्थक कला है। जिन्होंने साहित्य की जन-हितैषी विरासत को आगे बढ़ाया। उन्होंने कहा कि आज की सभा में “कला के लिए कला” के मानदंड को ऊंचा उठाने और साहित्य के व्यावसायीकरण के खिलाफ मजबूती से खड़े होने का आह्वान किया गया है।
मोहना सिंह वाड़ा भाई ने गुरदयाल सिंह के संघर्षों के संबंध में उनके साहित्यिक योगदान को प्रस्तुत किया तथा उनके उपन्यासों की प्रासंगिकता पर अपने विचार प्रस्तुत किए।
गुरु गोबिंद सिंह खालसा कॉलेज भगता भाई ने मैडम हरमन कौर तथा प्रोफेसर गुरदयाल सिंह के साथ गुरदयाल सिंह के योगदान पर चर्चा की। गुरुदयाल सिंह राही के पुत्र रविंदर राही को सम्मान स्वरूप एक उपहार भेंट किया गया।
स्टेज सचिव की भूमिका करमजीत सेवेवाला ने बाखूबी से निभाई। गगनदीप दबडीखाना, अर्शदीप दबडीखाना, जसकरन मत्ता, सुरिंदरपाल शर्मा और सुमन ने गीत प्रस्तुत किए।अंत में नत्था सिंह ने सभी का धन्यवाद किया।इस अवसर पर हरिंदर बिंदु, जतिन पुरी, एकमजोत, रणजीत बिशनदी, बूटा सिंह, हरमेल प्रीत, जगदेव ढिल्लों, जसप्रीत जैतो, जगजीत जैतो, भूपिंदरपाल सिंह, राजबीर मत्ता, प्रेम शर्मा, यशपाल सिंह चित्रकार व सुंदर सिंह बाजाखाना सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे।