Friday, December 27
  • पंजाब विश्वविद्यालय ने कॉपकनेक्ट साइबर वेलनेस सेंटर स्थापित करने के लिए आईएसएसी के साथ ऐतिहासिक समझौता किया
  • ये सहयोग साइबर अपराध से निपटने में देश में एक मील का पत्थर साबित होगा : प्रो. वाईपी वर्मा, रजिस्ट्रार, पीयू 
  • कॉपकनेक्ट साइबर वेलनेस सेंटर भारत में साइबर अपराध की बढ़ती चुनौतियों का समाधान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है : ग्रुप कैप्टन पी. आनंद नायडू

 डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़,  26   दिसंबर:

देश के उच्चत्तर शिक्षा के अग्रणी संस्थान पंजाब यूनिवर्सिटी (पीयू) ने इनफार्मेशन शेयरिंग एंड एनालिसिस सेण्टर (आईएसएसी ) के साथ एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। आईएसएसी भारत का प्रमुख गैर-लाभकारी साइबर सुरक्षा फाउंडेशन है। इस समझौते के तहत पंजाब यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर स्किल डेवलपमेंट एन्ड एंटरप्रिन्योरशिप (सीएसडीई) में कॉपकनेक्ट साइबर वेलनेस सेंटर की स्थापना की जाएगी। इस पहल को साइबर सिक्योरिटी के क्षेत्र में अग्रणी उद्यम ज़स्केलर के कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) कार्यक्रम के तहत समर्थन प्राप्त है।  

समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर समारोह पीयू के रजिस्ट्रार कार्यालय में आयोजित किया गया। आईएसएसी की ओर से ग्रुप कैप्टन पी. आनंद नायडू (सेवानिवृत्त), कार्यकारी निदेशक और राजशेखर पुल्लभट्टला, संस्थापक निदेशक ने भाग लिया। पीयू की ओर से प्रो. वाईपी वर्मा, रजिस्ट्रार,  प्रो. योजना रावत, निदेशक, आरडीसी, प्रो. के सलूजा, सचिव, वीसी, प्रो. सुवीरा गिल, मानद निदेशक, सीएसडीई और डॉ. विशाल शर्मा, समन्वयक सीएसडीई ने इस समझौते को औपचारिक रूप दिया। इस अवसर पर ग्रुप कैप्टन पी. आनंद नायडू (सेवानिवृत्त), कार्यकारी निदेशक, आईएसएसी ने कहा कि कॉपकनेक्ट साइबर वेलनेस सेंटर भारत में साइबर अपराध की बढ़ती चुनौतियों का समाधान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।  

पीयू के रजिस्ट्रार प्रो. वाई.पी. वर्मा ने कहा कि यह सहयोग नवाचार, कौशल विकास और सामाजिक कल्याण के प्रति पंजाब यूनिवर्सिटी की प्रतिबद्धता को दोहराता है तथा इससे साइबर अपराध से निपटने में काफी मदद मिलेगी। यह साझेदारी पंजाब यूनिवर्सिटी के मिशन को सुदृढ़ करती है, जो साइबर सुरक्षा में अकादमिक और सामाजिक योगदान को बढ़ाने का कार्य कर रही है। आईएसएसी के सहयोग से, यह केंद्र भारत को एक सुरक्षित और समावेशी डिजिटल भविष्य प्रदान करने की दिशा में काम करेगा।

 उल्लेखनीय है कि कॉपकनेक्ट साइबर वेलनेस सेंटर भारत में बढ़ते साइबर अपराध की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए स्थापित किया गया एक अत्याधुनिक केंद्र है। यह प्लेटफ़ॉर्म साइबर अपराध वकीलों, मनोवैज्ञानिकों, तकनीकी विशेषज्ञों और पहले उत्तरदाताओं सहित विभिन्न विशेषज्ञों की टीम को एक साथ लाता है, ताकि साइबर अपराध के मामलों को तेजी से और प्रभावी ढंग से सुलझाया जा सके।  

कॉपकनेक्ट साइबर वेलनेस सेंटर साइबर अपराध के पीड़ितों को सुरक्षित और सहायक वातावरण प्रदान करता है। इस केंद्र में किसी भी साइबर अपराध से प्रभावित व्यक्ति को त्वरित प्रतिक्रिया सहायता के तहत साइबर अपराध की घटनाओं से निपटने के लिए तत्काल मार्गदर्शन मिलेगी, पीड़ित की बहु-विशेषज्ञता तक पहुंच सुलभ होगी, कानूनी सहायता के लिए वकील, मानसिक स्वास्थ्य के लिए मनोवैज्ञानिक, और फोरेंसिक व तकनीकी सहायता के लिए विशेषज्ञ उपलब्ध होंगे, शिकायत दस्तावेज़ीकरण और साइबर अपराध पोर्टल पर घटनाओं को दर्ज करने और शिकायत दाखिल करने में सहायता मिलेगी तथा साइबर अपराध से निपटने और समाधान प्राप्त करने के लिए विशेष मार्गदर्शन भी मिलेगा।  

अधिकारीयों ने समझौते के उद्देश्य के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि साइबर सुरक्षा में कौशल विकास को बढ़ावा मिलेगा, साइबर रेंज फिजिटल लैब्स जैसे आधुनिक बुनियादी ढांचे की स्थापना की जाएगी जो छात्रों, पेशेवरों और कानून प्रवर्तन कर्मियों को प्रशिक्षण प्रदान करेगा। साइबर अपराध पीड़ितों को सहायता मिलेगी व उन्हें बहु-आयामी विशेषज्ञता और त्वरित सहायता उपलब्ध होगी। सहयोगी अनुसंधान और नवाचार के तहत  साइबर सुरक्षा के उभरते क्षेत्रों में अनुसंधान को बढ़ावा मिलेगा, कानून प्रवर्तन क्षमता निर्माण के तहत  एजेंसियों को साइबर अपराध से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए उन्नत उपकरण और ज्ञान प्रदान किया जाएगा। उन्होंने बताया कि साइबर खतरों और सुरक्षित ऑनलाइन प्रथाओं पर जन-जागरूकता अभियान भी चलाया जायेगा।  

उन्होंने सहयोग के लाभ गिनाते हुए बताया कि इससे रोजगार क्षमता में वृद्धि होगी व छात्रों और पेशेवरों को साइबर सुरक्षा और उभरती तकनीकों में प्रशिक्षण दिया जाएगा। शैक्षणिक और उद्योग सहयोग के तहत नवाचार को बढ़ावा देने के लिए आईएसएसी के साथ साझेदारी होगी, कानून प्रवर्तन की तैयारियां करते हुए साइबर अपराध से निपटने की क्षमता को सुदृढ़ किया जाएगा, पीड़ित सशक्तिकरण के तहत पीड़ितों की आवश्यकताओं को संबोधित करने के लिए ये एक समर्पित केंद्र होगा तथा राष्ट्रीय सुरक्षा में योगदान देते हुए देश की डिजिटल सुरक्षा और सतत विकास लक्ष्यों को सशक्त बनाया जाएगा।