पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य करान चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं : तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।
डेमोक्रेटिक फ्रंट, आध्यात्मिक डेस्क – पंचांग, 27 नवंबर 2024
नोटः आज गुरु प्रदोष व्रत है। गुरु प्रदोष व्रत एक महत्वपूर्ण हिंदू व्रत है जो विशेष रूप से भगवान शिवजी को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है। यह व्रत प्रदोष काल (संध्या के समय) में किया जाता है, जो सूर्योदय और सूर्यास्त के बीच का समय होता है। जब यह व्रत गुरुवार को पड़ता है, तब उसे गुरु प्रदोष व्रत कहते हैं। इस व सुख-संपत्ति का भी कारक माना जाता है।
विक्रमी संवत्ः 2081,
शक संवत्ः 1946,
मासः मार्गशीर्ष़
पक्षः कृष्ण,
तिथिः त्रयोदशी (की वृद्धि है)ः जो कि शुक्रवार को प्रातः काल 08.40 तक है,
वारः गुरूवार।
नोटः आज दक्षिण दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर गुरूवार को दही पूरी खाकर और माथे में पीला चंदन केसर के साथ लगाये और इन्हीं वस्तुओं का दान योग्य ब्रह्मण को देकर यात्रा करें।
नक्षत्रः चित्रा (की वृद्धि है जो कि गुरूवार को) प्रातः काल 07.36 तक है,
योग सौभाग्य सांय काल 04.02 तक है,
करणः गर
सूर्य राशिः वृश्चिक, चन्द्र राशिः तुला,
राहू कालः दोपहर 1.30 से 3.00 बजे तक,
सूर्योदयः 06.58, सूर्यास्तः 05.20 बजे।