पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य करान चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं : तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।
नोटः आज उत्पन्ना एकदशी व्रत है : एकादशी वैष्णव संप्रदाय के संरक्षक भगवान विष्णु की पूजा से जुड़ी है। हिंदू धर्म में, एकादशी पर उपवास का प्राथमिक उद्देश्य मन और शारीरिक इंद्रियों पर नियंत्रण प्राप्त करना और इसे आध्यात्मिक प्रगति की ओर ले जाना है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस तिथि को ही देवी एकादशी की उत्पत्ति हुई थी। इस कारण से भगवान विष्णु को उत्पन्ना एकादशी बेहद प्रिय मानी गई है। इस दिन भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा की जाती है और इस एकादशी का व्रत रखा जाता है। व्रत में उत्पन्ना एकादशी की व्रत कथा का पाठ करना बहुत ही जरूरी माना गया है।
विक्रमी संवत्ः 2081,
शक संवत्ः 1946,
मासः मार्गशीर्ष़
पक्षः कृष्ण,
तिथिः एकादशी रात्रिः काल 03.48 तक है,
वारः मंगलवार।
नोटः आज उत्तर दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर मंगलवार को धनिया खाकर, लाल चंदन, मलयागिरि चंदन का दानकर यात्रा करें।
नक्षत्रः हस्त रात्रि काल 04.35 तक है,
योग प्रीति दोपहर काल 02.13 तक है,
करणः बव,
सूर्य राशिः वृश्चिक, चन्द्र राशिः कन्या,
राहू कालः अपराहन् 3.00 से 4.30 बजे तक,
सूर्योदयः 06.57, सूर्यास्तः 05.20 बजे।