पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य करान चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं : तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।
डेमोक्रेटिक फ्रंट, आध्यात्मिक डेस्क – पंचांग, 14 नवंबर 2024
नोटः आज वैकुण्ठ चतुर्थी व्रत एवं बालदिवस है तथा चतुर्दशी की तिथि का क्षय है।
बैकुंठ चतुर्दशी का व्रत कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को बैकुंठ चतुर्दशी के नाम से जाना जाता है। बैकुंठ चतुर्दशी का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। दरअसल, साल में यह एक दिन ऐसा होता है जब भगवान विष्णु और भगवान शिव की आराधना एक साथ की जाती है। मान्यताओं के अनुसार, इस दिन जो व्यक्ति भगवान शिव और विष्णु की पूजा पूरे विधि विधान से करते हैं उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। उस व्यक्ति के जीवन के सभी दुख दूर होते हैं। इसी के साथ इस दिन पूजा अर्चना करने से व्यक्ति की कुंडली में जितने भी दुष्प्रभाव हैं वह सभी दोष दूर हो जाते हैं।
नोटः आज दक्षिण दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर गुरूवार को दही पूरी खाकर और माथे में पीला चंदन केसर के साथ लगाये और इन्हीं वस्तुओं का दान योग्य ब्रह्मण को देकर यात्रा करें।
नोटः आज वैकुण्ठ चतुर्थी व्रत एवं बालदिवस है तथा चतुर्दशी की तिथि का क्षय है।
विक्रमी संवत्ः 2081,
शक संवत्ः 1946,
मासः कार्तिक़
पक्षः शुक्ल,
तिथिः त्रयोदशी प्रातः काल 09.44 तक है,
वारः गुरूवार।
नोटः आज दक्षिण दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर गुरूवार को दही पूरी खाकर और माथे में पीला चंदन केसर के साथ लगाये और इन्हीं वस्तुओं का दान योग्य ब्रह्मण को देकर यात्रा करें।
नक्षत्रः अश्विनी रात्रि काल 12.33 तक है,
योग सिद्धि प्रातः काल 11.30 तक है,
करणः तैतिल,
सूर्य राशिः तुला, चन्द्र राशिः मेष,
राहू कालः दोपहर 1.30 से 3.00 बजे तक,
सूर्योदयः 06.47, सूर्यास्तः 05.24