डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़, 12 नवंबर:
हरियाणा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के उर्दू प्रकोष्ठ और हरियाणा विद्युत प्रसारण निगम लि. के संयुक्त तत्वाधान में इंद्रधनुष पंचकूला के सभागार में काव्य संध्या का आयोजन हुआ। इसकी अध्यक्षता प्रख्यात लेखक व शायर अनीस आजमी एवं डा. चंद्र त्रिखा ने की। इस संध्या में शायरों व कवियों ने गजलों, गीतों और कविताओं से खूब वाहवाही लूटी। कार्यक्रम का संचालन चर्चित शायर डा. जतिन्दर परवाज ने बखूबी से निभाया। इस संध्या में 16 कवियों ने भाग लिया।
शायर चमन शर्मा चमन ने गजल पेश करते हुए कहा कि- फूलों की तरह तू कभी खुलकर खिला तो कर। प्रेम विज ने यू फरमाया- चेहरों का रंग देख के पहचानता हूं मैं/अपना है कौन गैर है इस की शनास है। डा. जतिन्दर परवाज ने कहा- उदासियों के तमाम मंजर लिबास अपना बदल रहे हैं/ वो जब से आए हैं, इस चमन में ये खार फूलों में ढल रहे हैं। शायर अशोक नादिर ने गजल में कहा- ये मेल शंख और अजान सलामत रहे/ए खुदा मेरे वतन की ये शान सलामत रहे। इनके अलावा शम्स तबरेजी, मनमोहन दानिश, राजीव रंजन, नवीन नीर, प्रेम विज, डा. जतिन्दर परवाज, मुसविर फिरोजपुरी, राजबीर राज, पवन मुंतजिर, अशोक नादिर, आरती प्रिय, शहनाज भारती, सविता गर्ग और संगीता बेनीवाल ने भी रचनाएं पेश कीं।