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अनिल भल्ला मामले में हरिद्वार पुलिस की भूमिका संदिग्ध

अनिल भल्ला मामले में हरिद्वार पुलिस की भूमिका संदिग्ध , परिवार ने उठाये सवालिया निशान

डेमोक्रेटिक फ्रंट, पंचकूला –  06       नवंबर :

शिकायतकर्ता रजनी रामपाल जो कि खुद हरियाणा , पंजाब ,दिल्ली, हिमाचल में पी ओ घोषित है , कैसे उत्तराखंड पुलिस को चकमा देकर गुमराह कर रही है।

अनिल भल्ला को बिना किसी इन्वेस्टिगेशन के 5 नवंबर सुबह सेक्टर 2 स्तिथ पंचकूला से अरेस्ट करने पर घर वालों को कोई भी लिखित इतलाह तक नहीं दी गई है।

31 जुलाई को बहादराबाद में दर्ज एफआईआर की जांच में ही सब कुछ साफ हो जाता यदि अनिल भल्ला की मोबाइल लोकेशन ट्रेस करवा ली होती ।

पंचकुला , 5 नवंबर सुबह पुलिस को अचानक सामने पाकर अनिल भल्ला की गिरफ्तारी के समय उनकी पुत्रवधू भावना ने कंट्रोल रूम पर काल करके भी जानकारी दी । भावना सहित अनिल भल्ला की पत्नी ने डीजीपी उत्तराखंड पुलिस से भी गुहार लगाई है कि राज्य की पुलिस को एफआईआर दर्ज करने से पहले ,बेसिक जांच करके ही पर्चा दर्ज करना चाहिए था , अब परिवार ने अतिशीघ्र एफआईआर रद्द करने की मांग की है ।

परिवार की महिलाओं का कहना है कि रजनी रामपाल और उनके परिवार पर लगभग 25 मुकदमे दर्ज हैं और आसपास के राज्यों को लुक आउट नोटिस भी जारी है लेकिन इन सब के बावजूद रजनी रामपाल ने उत्तराखंड पुलिस को चकमा देकर अनिल भल्ला के खिलाफ झूठी एफआईआर दर्ज करवा ली जिस पर तुरंत ख़ारिज करने की कार्यवाही करते हुए , अनिल भल्ला की रिहाई होनी चाहिए।

क्या है मामला

रजनी रामपाल ने खुद को पटियाला निवासी बताते बहादराबाद में शिकायत दर्ज करवाई की टोल प्लाजा क्रॉस करने के बाद चार मुंह ढके हुए लोगों ने उन पर हमला किया , जिन पर अनिल व आकाश भल्ला परिवार से होने का शक जाहिर किया गया , हालाँकि शिकायतकर्ता का न एड्रेस व न हीं फोन नंबर ऍफ़ आई आर में न दिया गया होने