मन मगन हुआ, फिर क्यों बोले…
मन मगन हुआ, फिर क्यों बोले…
प्रसिद्ध गायक अरुण गोयल ने किया कवितावली उत्सव विशेषांक का विमोचन
डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़, 26 अक्टूबर:
हमारे पर्व त्यौहार भारतीय संस्कृति की आन-बान-शान और जान हैं। धनतेरस, नरक चतुर्दशी, दीपावली, भैया दूज घर- घर में मनाए जाने वाले दीपों के त्यौहार हैं। इन्हीं त्यौहारों पर आधारित कवितावली पत्रिका के नवंबर उत्सव विशेषांक का अनावरण हुआ। प्रसिद्ध राष्ट्रीय भजन गायक मुख्य अतिथि अरुण गोयल ने ऑनलाइन, ग्रेट ब्रिटेन से मुख्य संपादक सुरेश पुष्पाकर व संपादक प्रेम विज के साथ कवितावली पत्रिका का विमोचन किया।
इस अवसर पर संपादकीय मंडल से कवयित्री संतोष गर्ग, सुषमा मल्होत्रा, सुदेश मोदगिल नूर, तरुणा पुंडीर, डॉ विनोद शर्मा, गणेश दत्त बजाज, निर्लेप होरा, साहिल सिंह व देश- विदेश से अनेक रचनाकार उपस्थित थे।
श्रोताओं के अनुरोध पर अरुण गोयल ने अनेक भजन प्रस्तुत किए और उनका साथ मुरली के प्रसिद्ध वादक बलजिंदर सिंह बल्लू ने दिया। ढोलक पर दीपक ने और हारमोनियम पर बलराम राठौड़ ने खूबसूरत लय ताल के संग साथ निभाया। प्रमुख भजन जो प्रस्तुत किए गए- ‘क्या बोले फिर क्या बोले, मन मगन हुआ फिर क्यों बोले।’ ‘थारा रंग महल में, अजब शहर में, आजा रे हंसा भाई, निर्गुण राजा ने सरगुन सेज बिछाई।’ ‘जरा धीरे-धीरे हल्के गाड़ी हांको मेरे राम गाड़ी वाले।’ ‘यहां आया है सब जाएगा राजा रंक फकीर, कोई सिंहासन चढ़ चले, कोई बंधे जंजीर।’ ‘एकला मत छोड़ बंजारा रे’ भजन बहुत ही मधुर आवाज़ में पेश किए जिसकी सभी श्रोताओं ने भरपूर प्रशंसा की।
उन्होंने अपना संदेश देते हुए कहा कि हम सब बनजारे हैं, हम प्रेम प्यार का अच्छाई का सौदा करें, गगन मंडल के बीच में अविनाशी का खेल, वहां दीपक जलता अगम का, बिन बाती बिन तेल और अंत में मुख्य संपादक सुरेश पुष्पाकर ने कहा कि अरुण गोयल कबीर वाणी द्वारा हमारी भारतीय संस्कृति की संत परंपरा का संदेश देकर युवा वर्ग को जागरूक कर रहे हैं। ‘कबीर वाणी का गान, मधुर मुरली की तान’ अरुण गोयल और बलजिंदर सिंह बल्लू दोनों का संयोजन बहुत ही अद्भुत रहा।