पंचांग, 16 अक्टूबर 2024
पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य करान चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं : तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।
डेमोक्रेटिक फ्रंट, आध्यात्मिक डेस्क – पंचांग, 16 अक्टूबर 2024
नोटः आज शरद पूर्णिमा व्रत एवं कोजागर व्रत है। तथा लक्ष्मी एवं इन्द्रपूजा है। एवं वराह चतुर्दशी तथा मेला शाकम्भरी देवी (देवबन) महाराश पूर्णिमा (व्रजभूमि)
विक्रमी संवत्ः 2081,
शक संवत्ः 1946,
मासः आश्विनी़
पक्षः शुक्ल,
तिथिः चतुर्दशी रात्रिः काल 08.41 तक है,
वारः बुधवार।
नोटः आज उत्तर दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर बुधवार को राई का दान, लाल सरसों का दान देकर यात्रा करें।
नक्षत्रः उत्तराभाद्रपद सांय काल 07.18 तक है, योग धु्रव़ प्रातः काल 10.09 तक है,
करणः गर,
सूर्य राशिः कन्या, चन्द्र राशिः मीन,
राहू कालः दोपहर 12.00 बजे से 1.30 बजे तक,
सूर्योदयः 06.27, सूर्यास्तः 05.46 बजे।