पंचांग, 14 अक्टूबर 2024

पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य करान चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं : तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।

डेमोक्रेटिक फ्रंट, आध्यात्मिक डेस्क – पंचांग, 14 अक्टूबर 2024

नोटः आज पापांकुशा एकादशी व्रत है (वैष्णव) तथा द्वादशी तिथि का क्षय है।

आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पापांकुशा एकादशी के नाम से जाना जाता है. सनातन धर्म में इस एकादशी का विशेष महत्व है और यह एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित हैं. पापांकुशा का अर्थ है पाप पर अंकुश लगाना. मान्यता है कि इस एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति जीवन भर में किए गए सभी पापों से मुक्ति पाता है.

विक्रमी संवत्ः 2081, 

शक संवत्ः 1946, 

मासः आश्विनी़ 

पक्षः शुक्ल, 

तिथिः एकादशी प्रातः काल 06.42 तक है, 

वारः सोमवार।

नोटः आज पूर्व दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर सोमवार को दर्पण देखकर, दही,शंख, मोती, चावल, दूध का दान देकर यात्रा करें।

 नक्षत्रः शतभिषा रात्रि काल 12.43 तक है, योग अतिगण्ड़़ सांयः काल 06.01 तक है, 

करणः विष्टि, 

सूर्य राशिः कन्या, चन्द्र राशिः कुम्भ, 

राहू कालः प्रातः 7.30 से प्रातः 9.00 बजे तक,

सूर्योदयः 06.26, सूर्यास्तः 05.48 बजे।