पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य करान चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं : तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।
डेमोक्रेटिक फ्रंट, आध्यात्मिक डेस्क – पंचांग, 11 अक्टूबर 2024
नोटः आज श्री दुर्गाष्टमी एवं महाष्टमी एवं सरस्वती बलिदान तथा
सरस्वती बलिदान एक शुभ दिन है जो ज्ञान और बुद्धि की हिंदू देवी देवी सरस्वती को श्रद्धांजलि देने के लिए मनाया जाता है। यह पारंपरिक हिंदू कैलेंडर के अनुसार ‘आश्विन’ महीने के दौरान ‘शुक्ल पक्ष’ (चंद्रमा के उज्ज्वल पखवाड़े) के दौरान ‘नवमी’ (9वें दिन) को मनाया जाता है।
महा नवमी को देवी और राक्षस के बीच लंबे युद्ध का दिन माना जाता है, जब देवी ने राक्षस को घातक रूप से घायल कर दिया था। अगले दिन, युद्ध के 10वें दिन, जिसे विजयादशमी कहा जाता है, उस दिन देवी ने राक्षस को अंततः पराजित किया था।
व्रत है। (व्रत एवं पूजा हेतू) है।
धार्मिक मत है कि जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा (Durgashtami 2024) की पूजा करने से साधक को पृथ्वी लोक पर सभी प्रकार के भौतिक एवं सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख एवं संकट दूर हो जाते हैं। ज्योतिषियों की मानें तो अष्टमी तिथि पर शिववास योग का निर्माण हो रहा है।
विक्रमी संवत्ः 2081,
शक संवत्ः 1946,
मासः आश्विनी़
पक्षः शुक्ल,
तिथिः अष्टमी दोपहरः काल 12.07 तक है,
वारः शुक्रवार।
नोटः आज पश्चिम दिशा की यात्रा न करें। शुक्रवार को अति आवश्यक होने पर सफेद चंदन, शंख, देशी घी का दान देकर यात्रा करें।
नक्षत्रः उत्तराषाढ़ा अरूणोदय काल 05.25 तक है, योग सुकृत़ रात्रिः काल 02.46 तक है,
करणः बव,
सूर्य राशिः कन्या, चन्द्र राशिः धनु,
राहू कालः दोपहर प्रातः 10.30 बजे से दोपहर 12.00 बजे तक,
सूर्योदयः 06.24, सूर्यास्तः 05.53 बजे।