पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य करान चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं : तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।
डेमोक्रेटिक फ्रंट, आध्यात्मिक डेस्क – पंचांग, 14 सितम्बर 2024
नोटः आज पद्माएकादशी व्रत है। पद्मा एकादशी का व्रत भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन रखा जाता है। इसे परिवर्तनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस एकादशी का विशेष महत्व है। दरअसल, चातुर्मास में जब भगवान विष्णु शयन करते हैं तो इस दिन वह करवट बदलते हैं।
विक्रमी संवत्ः 2081,
शक संवत्ः 1946,
मासः भाद्रपद़
पक्षः शुक्ल,
तिथिः एकादशी रात्रि काल 08.42 तक है,
वारः शनिवार।
नोटः आज पूर्व दिशा की यात्रा न करें। शनिवार को देशी घी, गुड़, सरसों का तेल का दानदेकर यात्रा करें।
नक्षत्रः उत्तराषाढ़ा रात्रि काल 08.33 तक है, योग शोभन सांय काल 06.17 तक है,
करणः वणिज,
सूर्य राशिः सिंह, चन्द्र राशिः मकर,
राहू कालः प्रातः 9.00 बजे से प्रातः 10.30 तक,
सूर्योदयः 06.10, सूर्यास्तः 06.23 बजे।