पंचांग, 11 सितम्बर 2024

पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य करान चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं : तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।

डेमोक्रेटिक फ्रंट, आध्यात्मिक डेस्क – पंचांग, 11 सितम्बर 2024

नोटः आज श्री राधाष्टमी व्रत एवं श्रीमहालक्ष्मी व्रत प्रारम्भ एवं दधीची जयंती है।

श्रीमहालक्ष्मी व्रत : श्री महालक्ष्मी का यह व्रत भाद्रपद शुक्ल अष्टमी के दिन से किया जाता है, अत: यह 10 सितंबर 2024, मंगलवार से शुरू होकर 12 सितंबर तक चलेगा, क्योंकि कई जगहों पर महालक्ष्मी का यह पर्व 3 दिन तक मनाया जाता है। साथ ही कई स्थानों पर कुछ परिवारों में महालक्ष्मी उत्सव व्रत निरंतर 16 दिनों तक चलता है।

श्री राधाष्टमी व्रत: कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था और इसी तिथि की शुक्ल पक्ष में राधारानी का जन्म हुआ था। राधाष्टमी का पर्व कृष्ण जन्माष्टमी के ठीक 15 दिन बाद मनाया जाता है। हर वर्ष राधाष्टमी का पर्व भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को राधाष्टमी का पर्व मनाया जाता है। राधाष्टमी का पर्व बरसाने, मथुरा, वृंदावन समेत पूरे ब्रज में धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन ब्रजवासी व्रत रखते हैं और राधारानी की विधि विधान के साथ पूजा अर्चना करते हैं। कहा जाता है कि अगर भगवान कृष्ण का पाना है तो उनके राधा नाम जप करने से पाया जाता है।

दधीची जयंती : प्राचीन काल में ऋषि अथर्वा एवं माता शांति के पुत्र परम तपस्वी महर्षि दधीचि का जन्म भाद्रपद शुक्ल पक्ष की अष्टमी को दधीचि जयंती के रूप में मनाया जाता है। अपने अपकारी शत्रु के भी हितों की रक्षा हेतु सर्वस्व त्याग करने वाले महर्षि दधीचि जैसा उदाहरण संसार में अन्यत्र कहीं भी नहीं मिलता है।

विक्रमी संवत्ः 2081, 

शक संवत्ः 1946, 

मासः  भाद्रपद़ 

पक्षः  शुक्ल, 

तिथिः  अष्टमी रात्रि काल 11.47 तक है, 

वारः बुधवार।

नोटः आज श्री राधाष्टमी व्रत एवं श्रीमहालक्ष्मी व्रत प्रारम्भ एवं दधीची जयंती है।

नक्षत्रः  ज्येष्ठा रात्रि काल 09.22 तक है, योग प्रीति रात्रि काल 11.55 तक है,  

करणः विष्टि, 

सूर्य राशिः सिंह, चन्द्र राशिः वृश्चिक,

राहू कालः दोपहर 12.00 बजे से 1.30 बजे तक,

सूर्योदयः 06.08, सूर्यास्तः 06.28 बजे।