पंचांग, 06 सितम्बर 2024

पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य करान चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं : तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।

डेमोक्रेटिक फ्रंट, आध्यात्मिक डेस्क – पंचांग, 06 सितम्बर 2024

नोटः आज हरतालिका तृतीया तथा गौरी तृतीया एवं श्री वराह जयंती व्रत पूजनादि है। तथा कंलक चतुर्थी है। (चंद्र दर्शन निषेध) है।

हरतालिका तृतीया : हर साल भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की तृतीया पर हरतालिका तीज (Hartalika Teej 2024 Wishes) का व्रत रखा जाता है। इस दिन माता गौरी और भगवान शंकर की पूजा की जाती है। महिलाओं के बीच यह व्रत काफी प्रसिद्ध है। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को करने से पति को लंबी आयु प्राप्त होती है और वैवाहिक जीवन खुशहाल बना रहता है।

गौरी तृतीया : शिव एवं देवी पार्वती की की कृपा प्राप्त करने के लिए माघ माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया के दिन गौरी तृतीया व्रत का पालन किया जाता है। इस दिन विधिवत रूप से व्रत रखकर पूजा करने और कथा सुनने से माता पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यह सौभाग्य वृद्धिदायक व्रत कहा गया है। इस व्रत को करने से सभी तरह के संकटों से मुक्ति मिलती है और सफलता का मार्ग प्रशस्त होता है।

कंलक चतुर्थी है। चंद्र दर्शन निषेध है। भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन चंद्रमा का दर्शन मिथ्या कलंक देने वाला होता है. इसलिए इस दिन चंद्र दर्शन करना मना होता है. इस चतुर्थी को कलंक चौथ के नाम से भी जाना जाता है. 07 सितंबर 2024 को इस व्रत का प्रतिपादन होगा. कहा जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण भी इस तिथि पर चंद्र दर्शन करने के पश्चात मिथ्या कलंक के भागी बने.

श्री वराह जयंती : वराह जयंती भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि यानि 6 सितंबर 2024 को मनाई जा रही है। वराह अवतारभगवान विष्णु का तीसरा रूप हैऔर इस दिन को भगवान वराह के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। लोग इस दिन को अपार श्रद्धा और विश्वास के साथ मनाते हैं।

विक्रमी संवत्ः 2081, 

शक संवत्ः 1946, 

मासः  भाद्रपद़ 

पक्षः  शुक्ल, 

तिथिः  तृतीया अपराहन् काल 03.02 तक है, 

वारः शुक्रवार। 

नोटः आज पश्चिम दिशा की यात्रा न करें। शुक्रवार को अति आवश्यक होने पर सफेद चंदन, शंख, देशी घी का दान देकर यात्रा करें।

नक्षत्रः  हस्त  प्रातः काल 09.25 तक है, योग शुक्ल रात्रि काल 10.15 तक है, 

करणः गर, 

सूर्य राशिः सिंह, चन्द्र राशिः कन्या, 

राहू कालः प्रातः 10.30 बजे से दोपहर 12.00 बजे तक,

सूर्योदयः 06.06, सूर्यास्तः 06.33 बजे।