Sunday, December 22

पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य करान चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं : तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।

डेमोक्रेटिक फ्रंट, आध्यात्मिक डेस्क – पंचांग, पंचांग, 05 सितम्बर 2024 सितम्बर 2024

नोटः आज सामवेदियों का उपाकर्म कर्म है। सामवेदी परंपरानुसार आचमन, प्राणायाम, शिखा बंधन, भस्मी धारण, गणपति स्मरण के पश्चात हैमाद्री संकल्प द्वारा वर्ष पर्यन्त के कार्यों का प्रायश्चित कर्म करने के बाद दश विधि स्नान किया गया। जिसमें मृतिका, भस्मी, गाय गोबर, गौमूत्र, फल, सर्वोषधि, हिरण्य, कुशा आदि दस पदार्थों से स्नान कर सामवेदी मध्यान्ह संध्या की गई।

विक्रमी संवत्ः 2081, 

शक संवत्ः 1946, 

मासः  भाद्रपद़ 

पक्षः  शुक्ल, 

तिथिः  द्वितीया दोपहर काल 12.22 तक है, 

वारः गुरूवार। 

नोटः आज दक्षिण दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर गुरूवार को दही पूरी खाकर और माथे में पीला चंदन केसर के साथ लगाये और इन्हीं वस्तुओं का दान योग्य ब्रह्मण को देकर यात्रा करें।

नक्षत्रः  उत्तराफाल्गुनी की (वृद्धि है) जो गुरूवार को प्रातः काल 06.15 तक है, योग शुभ रात्रि काल 09.08 तक है, 

करणः कौलव, 

सूर्य राशिः सिंह, चन्द्र राशिः कन्या,

राहू कालः दोपहर 1.30 से 3.00 बजे तक,

सूर्योदयः 06.05, सूर्यास्तः 06.34 बजे।