पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य करान चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं : तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।
डेमोक्रेटिक फ्रंट, आध्यात्मिक डेस्क – पंचांग, 02 सितम्बर 2024
नोटः आज कुशग्रहणी अमावस एवं सोमवती अमावस एवं पिथोरी अमावस और पितृकार्येषु अमावस तथा रानी सती मेला (झुनझुनू राजस्थान) तथा लोहागर यात्रा (स्नान) 02 दिन।
कुशग्रहणी अमावस : भाद्रपद मास की अमावस्या तिथि को कुशग्रहणी अमावस्या कहते हैं। धर्म ग्रंथों में इसे कुशोत्पाटिनी अमावस्या भी कहा गया है। इस दिन वर्ष भर किए जाने वाले धार्मिक कामों तथा श्राद्ध आदि कामों के लिए कुश एकत्रित किया जाता है। एक सितम्बर रविवार की रात्रि 4.54 से 3 सितम्बर मंगलवार की सुबह 6.00 तक अमावस्या तिथि रहेगी।
सोमवती अमावस : ऐसा करने से सुख- समृद्धि का जीवन में वास बना रहता है। साथ ही इस दिन तर्पण, दान करने से पितर प्रसन्न होते हैं और उनका आशीर्वाद आपको मिलता है। इतना ही नहीं ये दिन काल सर्प दोष से मुक्ति पाने के लिए भी खास होता है। वहीं सोमवती अमावस्या के दिन जरूरतमंद लोगों को अन्न का दान करना चाहिए।
पिथोरी अमावस्या : एक क्षेत्रीय उत्सवइसके व्यापक महत्व के अलावा, भाद्रपद अमावस्या को पिठोरी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है, खास तौर पर राजस्थान में। यह दिन रानी सती को समर्पित है, जो एक पूजनीय व्यक्ति हैं और अपनी भक्ति और बलिदान के लिए प्रसिद्ध हैं।
लोहागर यात्रा : राजस्थान में शेखावाटी क्षेत्र के झुंझुनू जिले जिले में अरावली पर्वतमालाओं के मध्य सुप्रसिद् तीर्थ स्थल लोहार्गल स्थित है। यहां प्रतिवर्ष रक्षाबंधन त्यौहार के अगले दिन गोगानवमी से प्रारंभ होकर अमावस्या तक सात दिनों की 24 कोस (72 किलोमीटर) की परिक्रमा लगती है। जिसमें लाखों श्रद्धालु शामिल होते है।
पितृकार्येषु अमावस : भाद्रपद अमावस्या, जिसे पितृ अमावस्या भी कहा जाता है, हिंदू पंचांग के भाद्रपद मास की अमावस्या तिथि को मनाई जाती है। पंचांग के अनुसार, 2024 में भाद्रपद अमावस्या 2 सितंबर को पड़ रही है।
रानी सती मेला : हर साल भादों मास की अमावस्या को राजस्थान के झुंझुनू में राणी सती मंदिर में उत्सव मनाया जाता है। यहां हर साल भादों अमावस्या को भव्य मंगलपाठ का आयोजन होता है। जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल होते हैं। इस साल भी 27 अगस्त को यह उत्सव मनाया जाएगा, जिसकी तैयारियां जोरो शोरों से जारी है।
विक्रमी संवत्ः 2081,
शक संवत्ः 1946,
मासः भाद्रपद़
पक्षः कृष्ण,
तिथिः अमावस की (वृद्धि है) जो कि मंगलवार को प्रातः काल 07.26 तक है,
वारः सोमवार।
नोटः आज पूर्व दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर सोमवार को दर्पण देखकर, दही, शंख, मोती, चावल, दूध का दान देकर यात्रा करें।
नक्षत्रः मघा रात्रि काल 12.20 तक, योग शिव सांय काल 06.20 तक है,
करणः चतुष्पद,
सूर्य राशिः सिंह, चन्द्र राशिः सिंह,
राहू कालः प्रातः 7.30 से प्रातः 9.00 बजे तक,
सूर्योदयः 06.04, सूर्यास्तः 06.37 बजे।