पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य करान चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं : तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।
डेमोक्रेटिक फ्रंट, आध्यात्मिक डेस्क – पंचांग, 24 अगस्त 2024
नोटः षष्ठी तिथि का क्षय है। आज चंदन षष्ठी व्रत एवं हलषष्ठी व्रत है।
षष्ठी तिथि का क्षय :अगली कृष्ण पक्ष षष्ठी तिथि शनिवार, 24 अगस्त 2024 को प्रातः 7:52 बजे से प्रारम्भ होकर रविवार, 25 अगस्त 2024 को प्रातः 5:31 बजे समाप्त होगी।
चंदन षष्ठी : इस दिन को भगवान बलराम की जयंती के रूप में मनाया जाता है।भगवान बलराम को शेषनाग के अवतार के रूप में पूजा जाता है जो क्षीर सागर में भगवान विष्णु के हमेशा साथ रहने वाली शैया के रूप में जाने जाते हैं। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि भगवान बलराम का प्रधान शस्त्र हल और मूसल हैं। इसी कारण उन्हें हलधर भी कहा जाता है।
हलषष्ठी व्रत : संतान की दीर्घायु को लेकर रखा जाने वाला पर्व हलषष्ठी (कमरछठ) 25 अगस्त को है। पर्व को लेकर तैयारी शुरू हो गई हैं। शहर के चौक-चौराहों में इन दिनों पसहर चावल की बिक्री हो रही है। पिछले साल की तुलना में इसमें 15 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हुई है। संतानों की दीर्घायु की कामना लेकर माताएं कमरछठ पर्व पर कठिन व्रत रखकर पूजा-अर्चना करती हैं।
विक्रमी संवत्ः 2081,
शक संवत्ः 1946,
मासः भाद्रपद़
पक्षः कृष्ण,
तिथिः पंचमी प्रातः काल 07.52 तक है,
वारः शनिवार।
नोटः आज पूर्व दिशा की यात्रा न करें। शनिवार को देशी घी,गुड़, सरसों का तेल का दानदेकर यात्रा करें।
नक्षत्रः अश्विनी सांय काल 06.06 तक,
योग अतिगण्ड़ प्रातः काल 06.08 तक है,
करणः तैतिल,
सूर्य राशिः सिंह, चन्द्र राशिः मेष,
राहू कालः प्रातः 9.00 बजे से प्रातः 10.30 तक,
सूर्योदयः 05.59, सूर्यास्तः 06.47 बजे।