भारतीय उपमहाद्वीप में हिंदूओं का अस्तित्व
Demokratic Front, Panchkula – 24 August :
भारतीय इतिहास संकलन समिति पंचकुला ने “भारतीय उपमहाद्वीप में हिंदूओं का अस्तित्व” विषय पर आज 23 अगस्त 2024 को शाम 3 बजे सेक्टर 8 पंचकुला में एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें जाने माने शायर व उद्योगपति अशोक भंडारी नादिर मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया। संगोष्ठी में भारतीय इतिहास संकलन समिति हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष डॉ रमेश धारीवाल ने मुख्य वक्ता के रूप में उपरोक्त विषय पर बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारी बैठक में बड़ी संख्या में उपस्थित लोगों के साथ सांझा की। संगोष्ठी में भारतीय इतिहास संकलन योजना नई दिल्ली के उत्तर क्षेत्रीय संगठन सचिव डाॅ प्रशांत गौरव की विशिष्ट अतिथि के रूप में गरिमामयी उपस्थिति रही। भारतीय इतिहास संकलन समिति पंचकुला के अध्यक्ष आर पी मल्होत्रा की अध्यक्षता में संगोष्ठी आयोजित की गई। संगोष्ठी का संचालन प्रो जवाहर लाल देवेसर ने किया।
सभा का शुभारंभ मोहिनी सचदेवा अनिता मेहता वीना अरोड़ा व नीलम धवन की गायी सरस्वती वंदना से हुआ। तदुपरांत अध्यक्ष आर पी मल्होत्रा ने अतिथियों का स्वागत करते हुए और विषय की प्रस्तावना पेश करते हुए कहा कि हिंदूओं का गौरवमयी इतिहास साक्षी है कि विश्व भाईचारे का झंडा हमेशा बुलंद रखा। इनकी बहादुरी का कोई सानी नहीं रहा। लेकिन इस कौम ने आपसी फूट और भेदभाव के कारण हमेशा मार खाई है और इतिहास की गलतियों से कुछ नहीं सीखा। आज भी जातिवाद हिंदू एकता पर प्रश्न चिन्ह लगाए खड़ा है। मुख्य अतिथि अशोक भंडारी नादिर ने भारत में धार्मिक उन्माद के बारे में चिंता व्यक्त की और जौर देकर कहा कि ऐसे उन्माद का मुकाबला करने के लिए हिंदू एकता बहुत जरूरी है।
मुख्य वक्ता डाॅ रमेश धारीवाल ने हिंदू परम्पराओं और विरासत की विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि हिंदू धर्म सभी धर्मों का अपने में समावेश किया। साथ ही उन्होंने कहा कि हमें अपनी महान सनातनी सभ्यता पर गर्भ होना चाहिए। उन्होंने बिगड़ते हुए मजहबी जनसंख्या के अनुपात पर चिंता व्यक्त की और कहा कुछ मजहबी संगठन गुप्त ऐजेंडा पर काम कर रहे हैं इसके लिए सतर्कता की अवश्कता है। पड़ोसी देशोंजिनमें दूओं की तेजी से घटती जनसंख्या एक खतरे का संकेत है। जातिरहित हिंदू एकता इसका एकमात्र उपाय है जिससे हम अपनी प्राचीनतम सभ्यता की रक्षा कर पाएंगे।
इस बैठक में बड़ी संख्या में शहर के गणमान्य लोगों भाग लिया जिनमें सुखदेव बहल, राजेन्द्र गोयल, अविनाश महता, मनोहर नागपाल, विजय अग्रवाल, विजय सचदेवा, सत्राजीत गौड़ एव अरुणा अबरोल उल्लेखनीय है। मनोरंजन के लिए गीत संगीत की प्रस्तुतियां भी उत्साह व्रधक रही। विशेष कर के के सरीन व सत्राजीत गौड़ द्वारा प्रस्तुत गीतों ने समय बांध दिया। चाए नाश्ते के साथ संगोष्ठी सम्पन्न हूई।