पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य करान चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं : तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।
डेमोक्रेटिक फ्रंट, आध्यात्मिक डेस्क – पंचांग, 21 अगस्त 2024
नोटः आज कजली तृतीया व्रत है। (चन्द्रोदय व्यापिनी)।
कजली तृतीया व्रत : पौराणिक कथा के अनुसार, शिव को पति रूप में पाने के संकल्प के साथ मां पार्वती ने 108 साल तक तपस्या कर भोलेनाथ को प्रसन्न किया था। तभी से इसको कजरी तीज या कजली तीज के रूप में मनाया जाने लगा। इस त्योहार पर विवाहित महिलाओं के साथ कुंवारी लड़कियां भी रखती हैं।
विक्रमी संवत्ः 2081,
शक संवत्ः 1946,
मासः भाद्रपद़
पक्षः कृष्ण,
तिथिः द्वितीया सांय काल 05.07 तक है,
वारः बुधवार।
नोटः आज उत्तर दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर बुधवार को राई का दान, लाल सरसों का दान देकर यात्रा करें।
नक्षत्रः पूर्वाभाद्रपद रात्रिः काल 12.34 तक,
योग सुकृत़ सांय काल 05.01 तक है,
करणः तैतिल,
सूर्य राशिः सिंह, चन्द्र राशिः कुम्भ,
राहू कालः दोपहर 12.00 बजे से 1.30 बजे तक,
सूर्योदयः 05.58, सूर्यास्तः 06.50 बजे।