पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य करान चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं : तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।
डेमोक्रेटिक फ्रंट, आध्यात्मिक डेस्क – पंचांग, 19 अगस्त 2024
नोटः आज रक्षा बंधन तथा श्रवण पूर्णिमा है। एवं श्री सत्यनारायण व्रत पूजन व्रत कथा है। और ऋक्वेदी उपाकर्म है। यजुर्वेदी एवं अर्थवेदी उपाकर्म, श्रीगायत्री जयंती, हयग्रीव जयंती, कोकिला व्रत पूर्ण, रोटक व्रत पूर्ण ऋषि तर्पण (अपराहन् काल में), श्रावणी उपाकर्म, दर्शन श्री अमरनाथ गुफा (काश्मीर) और संस्कृत दिवस है।
नोटः आज सांय 7.00 बजे से पंचक प्रारम्भ हो रहे हैं, पंचक काल में तृण, काष्ठ, धातु का संचय व भवन निर्माण और नवीन कार्य तथा यात्रा आदि कर्म वर्जित होते हैं।पंचक काल में शव दाह का भी निषेध होता है।चूंकि शव को इतनी लंबी अवधि हेतु रोकना देश काल परिस्थिति के अनुसार मुश्किल हैं, अतः योग्य वैदिक ब्रह्मण की सलाह लेकर पंच पुतलों का दाह और पंचक नक्षत्रों की शांति विधि पूर्वक करानी चाहिए। क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि मृतक व्यक्ति के परिवार व संबंधियों में से ही पॉच व्यक्तियों के अकालमृत्यु होने की आशंका बनी रहती है।
विक्रमी संवत्ः 2081,
शक संवत्ः 1946,
मासः श्रावण़
पक्षः शुक्ल,
तिथिः पूर्णिमा रात्रि काल 23.56 तक है,
वारः सोमवार।
नोटः आज पूर्व दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर सोमवार को दर्पण देखकर, दही,शंख, मोती, चावल, दूध का दान देकर यात्रा करें।
नक्षत्रः श्रवण प्रातः काल 08.10 तक,
योग शोभऩ रात्रि काल 12.47 तक है,
करणः विष्टि,
सूर्य राशिः सिंह, चन्द्र राशिः मकर,
राहू कालः प्रातः 7.30 से प्रातः 9.00 बजे तक,
सूर्योदयः 05.57, सूर्यास्तः 06.52 बजे।