पंचांग, 12 अगस्त 2024
पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य करान चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं : तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।
डेमोक्रेटिक फ्रंट, आध्यात्मिक डेस्क – पंचांग, 12 अगस्त 2024
नोटः वक्री बुध पश्चिम में अस्त: हिंदू ज्योतिष में, वक्री ग्रहसूर्य और चंद्रमा के अलावा सौर मंडल के वे ग्रह हैं जो पीछे की ओर चलते हुए प्रतीत होते हैं, जो स्पष्ट गति पृथ्वी की कक्षा के कारण है। संस्कृत में वक्री का अर्थ है मुड़ा हुआ या टेढ़ा; इसका अर्थ अप्रत्यक्ष, टालमटोल करने वाला और अस्पष्ट भी है। चूँकि बुध संचार, सूचना और यात्रा का स्वामी है, इसलिए वक्री अवधि इन क्षेत्रों में बाधा उत्पन्न करती है। बुध के वक्री होने के दौरान, हम जल्दी से जल्दी निर्णय लेने, आवेगपूर्ण तरीके से कार्य करने या बातें बेबाकी से कहने के लिए दबाव महसूस कर सकते हैं । बुध ग्रह पर अस्त होने का बहुत अधिक बुरा प्रभाव देखने को नहीं मिलता, अस्त होने पर भी बहुत बुरे फल ये नहीं देगा।
विक्रमी संवत्ः 2081,
शक संवत्ः 1946,
मासः श्रावण़
पक्षः शुक्ल,
तिथिः
सप्तमी (तिथि की वृद्धि) है जो कि सोमवार को प्रातः काल 07.56 तक है, वारः सोमवार।
नोटः आज पूर्व दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर रविवार को पान खाकर लाल चंदन, गुड़ और लड्डू का दान देकर यात्रा करें।
नक्षत्रः: स्वाती की (वृद्धि है जो) सोमवार को प्रातः काल 08.33 तक है, योग शुक्ल़ सांय काल 04.26 तक है,
करणः वणिज,
सूर्य राशिः कर्क, चन्द्र राशिः तुला,
राहू कालः प्रातः 7.30 से प्रातः 9.00 बजे तक,
सूर्योदयः 05.52, सूर्यास्तः 07.00 बजे।