Sunday, December 22

चंडीगढ़ के गाँवों में लाल डोरे के बाहर बने मकानों को नियमित करने के मुद्दे को लोकसभा में उठाएँ तिवारी

विनोद कुमार तुषावर, डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़ – 07   अगस्त :

केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के सांसद मनीष तिवारी जी को एक पत्र लिखा गया है जिसमें कहा गया है कि चंडीगढ़ के गाँवों में लाल डोरे के बाहर बने मकानों को नियमित करने के लिए हम लोग पिछले कई दशकों से निवेदन कर रहे हैं परंतु चंडीगढ़ प्रशासन और केंद्र सरकार कोई भी हमारा दर्द सुनने और समझने को तैयार नहीं है । चंडीगढ़ प्रशासन ने दिसंबर 1992 में तत्कालीन वित्त सचिव यच यस बराड साहब के नेतृत्व में एक कमेटी का गठन किया था उसका आज तक कुछ पता नहीं लगा, फिर 1996 में चंडीगढ़ प्रशासन ने चंडीगढ़ नगर निगम नाम की एक संस्था बनाई उस समय मनीमाजरा का कुछ हिस्सा, बडैल अटावा बडहेडी और बुटेरला गाँवों को नगर निगम के अधीन स्थानांतरित किया गया और इन गाँवों में आज तक भी लाल डोरा नाम की कोई समस्या नहीं है और ना ही किसी विकास कार्य में कोई परेशानी आती है । फिर वर्ष 2005 में हलोमाजरा कजहेडी पलसौरा डडूमाजरा और मलोया को नगर निगम के अधीन स्थानांतरित करने के लिए कारवाई प्रशासन ने शुरू कर दी पंचायतों का अस्तित्व समाप्त कर दिया गया पाँचों गाँवों की लाल डोरे के बाहर की ज़मीन को नगर निगम के अधीन स्थानांतरित किया गया और परिधि नियंत्रण अधिनियम के प्रावधान से छूट दी गई थी अप्रैल 2008 में दीप कॉम्पलैक्स का एरिया भी नगर निगम के अधीन स्थानांतरित किया गया इस प्रकार पाँचों गाँवों का पूरा राजस्व इलाका नगर निगम के अधीन हो गया कई प्लाट और मकानों को पंजीकृत किया गया घर बनाने के लिए नक्षे भी पास किए गए , पाँचों गाँवों के मास्टर प्लान भी बनाए गए और अचानक 25 मई 2009 को एक अधिसूचना जारी करके पाँचों गाँवों की लाल डोरे के बाहर की ज़मीन को परिधि नियंत्रण अधिनियम 1952 के अधीन वापस कर दिया गया और जब इस बारे में चंडीगढ़ प्रशासन के संबंधित अधिकारियों से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि जो वर्ष 2007 में गाँवों की ज़मीन को परिधि नियंत्रण अधिनियम से छूट देने का फ़ैसला लिया गया वह ग़लत था अब सोचने वाली बात यह है कि एक गलती करने के लिए चंडीगढ़ प्रशासन के अधिकारियों ने दो वर्षों तक अभ्यास किया और अगले दो साल बीतने के बाद पता चला कि दो साल पहले जो काम किया गया वह ग़लत किया गया और जबकि वर्ष 2006 में इसी संबंध में माननीय हाईकोर्ट में गाँवों के लोगों ने केस दायर किया था और चंडीगढ़ प्रशासन ने जो जवाब दिया वो चंडीगढ़ के गाँवों में लाल डोरे के बाहर बने मकानों को नियमित करने के लिए सही रास्ता बना हुआ था । फिर वर्ष 2013 में चंडीगढ़ मास्टर प्लान बनाया गया उसमें गाँवों में लाल डोरे के बाहर बने मकानों को ग्रीन बेल्ट दर्शाया गया है जब हमने माँग की कि चंडीगढ़ के गाँवों में लाल डोरे के बाहर बने मकानों को पहले मास्टर प्लान में दर्शाया जाए और फिर मास्टर प्लान पास किया जाए लेकिन तत्कालीन प्रशासक महोदय ने हमारी माँग ख़ारिज कर दी । वर्ष 2017 केंद्रीय गृह मंत्री श्री राजनाथ सिंह जी की अध्यक्षता में गृह मंत्री की सलाहकार समिति की बैठक हुई उसमें समिति के सदस्यों ने लाल डोरे के बाहर बने मकानों को नियमित करने का मुद्दा उठाया और गृह मंत्री महोदय ने कह दिया था कि इस मामले में चंडीगढ़ प्रशासक फ़ैसला ले सकते हैं और प्रशासक महोदय ने इस बारे में तो कोई फ़ैसला नहीं लिया परंतु नवंबर 2018 में बाक़ी जो तेरह गाँव प्रशासन के अधीन थे उन्हें भी नगर निगम के अधीन स्थानांतरित किया गया , उन गाँवों की पंचायतों का अस्तित्व भी समाप्त किया गया और इन गाँवों के लाल डोरे के बाहर बने मकानों को भी परिधि नियंत्रण अधिनियम के तहत ही छोड़ दिया गया । वर्ष 2023 में एक और चौंकाने वाली बात पता चली कि चंडीगढ़ शहर के मनीमाजरा के इलाक़े में चंडीगढ़ प्रशासन दस एकड़ ज़मीन हरियाणा सरकार को हरियाणा विधानसभा भवन बनाने के लिए देने की तैयारी कर चुकी है और चंडीगढ़ प्रशासन ने हरियाणा सरकार को सुझाव दिया है कि या तो उस ज़मीन के बदले ज़मीन दो या फिर 620 करोड़ रुपए दो । फ़ैसला हरियाणा सरकार को लेना है कि क्या ठीक रहेगा लेकिन सवाल यह उठता है कि जिस ज़मीन को चंडीगढ़ प्रशासन हरियाणा सरकार को हरियाणा विधानसभा भवन बनाने के लिए देना चाहता है वो ज़मीन परिधि नियंत्रण अधिनियम के तहत आती है और चंडीगढ़ मास्टर प्लान में ए ज़मीन भी ग्रीन बेल्ट में दर्शायी गई है तो क्या हरियाणा विधानसभा भवन बनाने के लिए चंडीगढ़ प्रशासन परिधि नियंत्रण अधिनियम को समाप्त करेगा, क्या मास्टर प्लान में संसोधन करके हरियाणा विधानसभा भवन बनाने के लिए हिम्मत दिखाई जाएगी तो यदि चंडीगढ़ प्रशासन हरियाणा विधानसभा भवन बनाने के लिए नियमों में बदलाव कर सकता है तो चंडीगढ़ के गाँवों में लाल डोरे के बाहर बने मकानों को नियमित करने में परेशानी क्यों महसूस हो रही है । वर्ष 2019 के शीतकालीन सत्र में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की 1731 अनधिकृत कॉलोनियों को नियमित करने के लिए तत्कालीन शहरी विकास मंत्री श्री हरदीप सिंह पुरी जी ने लोकसभा और राज्य सभा में बिल पास करवाया और ए कहा गया कि इन कालोनियों के नियमित होने का फ़ायदा दिल्ली में रहने वाले चालीस लाख लोगों को होगा तो चंडीगढ़ में लाल डोरे के बाहर तो मुश्किल से तीन-चार लाख लोग होंगे तो हमें दिल्ली वालो की तरह फ़ायदा क्यों नहीं मिलना चाहिए । इसलिए हमारे माननीय सांसद श्री मनीष तिवारी जी से निवेदन है कि चंडीगढ़ के गाँवों में लाल डोरे के बाहर बने मकानों को नियमित करने की माँग को लोकसभा में रखें और चंडीगढ़ प्रशासन के परिधि नियंत्रण अधिनियम और मास्टर प्लान रूपी तलवारों से हमारे जान माल की रक्षा करें  ।