पंचांग, 20 जुलाई 2024
पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य करान चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं : तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।
डेमोक्रेटिक फ्रंट, आध्यात्मिक डेस्क – पंचांग, 20 जुलाई 2024
नोटः आज श्री सत्यनारायण व्रत कथा एवं पूजन है। वायु परीक्षा है, एवं कोकिला व्रत तथा शिव शयनोत्सव है। तथा मेला ज्वालामुखी (कश्मीर) है।
श्री सत्यनारायण व्रत : सत्य को नारायण के रूप में पूजना ही सत्यनारायण भगवान की पूजा है। इसका दूसरा अर्थ यह है कि संसार में एकमात्र भगवान नारायण ही सत्य हैं, बाकी सब माया है। भगवान की पूजा कई रूपों में की जाती है, उनमें से भगवान का सत्यनारायण स्वरूप इस कथा में बताया गया है।
शिव शयनोत्सव : आषाढ़ मास की देवोशयनी एकादशी यानी 20 जुलाई 2021 को सृष्टि के पालनहार भगवान विष्णु योग निद्रा में जा चुके हैं। भगवान विष्णु के बाद अब भगवान शिव भी शयन में चले जाएंगे। इस दिन को शिव शयनोत्सव कहा जाता है। इस साल शिव शयनोत्सव 23 जुलाई, दिन शुक्रवार को है।
कोकिला व्रत : 20 जुलाई को आषाढ़ की पूर्णिमा के दौरान कोकिला व्रत मनाया जाता है, जिसमें देवी सती की पूजा करके कोयल की मूर्ति बनाई जाती है। वैवाहिक सुख और समृद्धि के लिए मनाया जाने वाला यह व्रत उपवास और प्रार्थनाओं से युक्त होता है।
‘ज्वालामुखी मेला’ हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में ज्वालामुखी मंदिर में आयोजित किया जाता है। यह वर्ष में दो बार अप्रैल और अक्टूबर के महीने में मनाया जाता है। ज्वालामुखी की देवी ज्वालामुखी देवी को सम्मानित करने के लिए इसका आयोजन किया जाता है। मेले में लोक नृत्य, गीत, नाटक, कुश्ती और व्यायाम शामिल हैं।
विक्रमी संवत्ः 2081,
शक संवत्ः 1946,
मासः आषाढ़
पक्षः शुक्ल,
तिथिः चतुर्दशी सांय काल 06.00 तक है,
वारः शनिवार।
नोटः आज पूर्व दिशा की यात्रा न करें। शनिवार को देशी घी,गुड़, सरसों का तेल का दानदेकर यात्रा करें।
नक्षत्रः पूर्वाषाढ़ा रात्रि काल 01.49 तक है,
योग वैधृति रात्रि काल 12.08 तक है,
करणः गर,
सूर्य राशिः कर्क, चन्द्र राशिः धनु,
राहू कालः प्रातः 9.00 बजे से प्रातः 10.30 तक,
सूर्योदयः 05.40, सूर्यास्तः 07.15 बजे।