पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य करान चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं : तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।
डेमोक्रेटिक फ्रंट, आध्यात्मिक डेस्क – पंचांग, 19 जुलाई 2024
नोटः आज श्री हरि शयनी एकादशी व्रत पर्व है। चार्तुमास व्रत नियमादि प्रारम्भ तथा श्री विष्णू शयनोत्सव है।
श्री हरि शयनी एकादशी व्रत पर्व : देवशयनी एकादशी को हरिशयनी एकादशी भी कहा जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस तिथि से भगवान विष्णु के योग निद्रा में चले जाते हैं। इसके बाद वह कार्तिक माह की देवउठनी एकादशी पर पुनः निद्रा से जागते हैं। इन दोनों एकादशी के बीच की अवधि को चातुर्मास कहा जाता है।
श्री विष्णू शयनोत्सव : सृष्टि का पालनहार भगवान विष्णु का आषाढ़ मास की देवशयनी एकादशी यानी रविवार से 4 महीने के लिए शयन काल शुरू हो गया है। भगवान विष्णु के शयन पर जाने के बाद अब शिवजी भी योग निद्रा में जाने वाले हैं। इस तिथि को शिव शयनोत्सव के नाम से जाना जाता है। इस बार यह शुभ तिथि 13 जुलाई दिन बुधवार को है।
विक्रमी संवत्ः 2081,
शक संवत्ः 1946,
मासः आषाढ़
पक्षः शुक्ल,
तिथिः त्रयोदशी सांय काल 07.42 तक है,
वारः शुक्रवार।
नोटः आज पश्चिम दिशा की यात्रा न करें। शुक्रवार को अति आवश्यक होने पर सफेद चंदन, शंख, देशी घी का दान देकर यात्रा करें।
नक्षत्रः मूल रात्रि काल 02.55 तक है,
योग ऐन्द्र अरूणोदयः काल 02.41 तक है,
करणः कौलव ,
सूर्य राशिः कर्क, चन्द्र राशिः धनु,
राहू कालः प्रातः 10.30 बजे से दोपहर 12.00 बजे तक,
सूर्योदयः 05.39, सूर्यास्तः 07.15 बजे।