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डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़, 29 जून :

अंतरराष्ट्रीय स्तर की पत्रिका कवितावली के जुलाई अंक का विमोचन विश्वविख्यात लोक गायिका डॉली गुलेरिया द्वारा किया गया। डॉली गुलेरिया द्वारा आनलाइन किए गए इस विमोचन के शुभ अवसर पर ग्रेट ब्रिटेन से पत्रिका के मुख्य संपादक सुरेश पुष्पाकर, चण्डीगढ़ से संपादक प्रेम विज, संयुक्त संपादक कवयित्री संतोष गर्ग, प्रो. अलका कांसरा व डॉ. विनोद शर्मा के साथ-साथ देश- विदेश से अनेक रचनाकार उपस्थित थे।

पत्रिका कवितावली में भारत, ग्रेट ब्रिटेन, इंडोनेशिया, अमेरिका, कनाडा व देश-विदेश के रचनाकारों की कविताएं व लघु कथाएं प्रकाशित की गई हैं। हिंदी साहित्य को समर्पित इस खूबसूरत पत्रिका के मुख्य संपादक साहित्यकार सुरेश पुष्पाकर ने इस अवसर पर कहा कि हमारा उद्देश्य है कि जिन-जिन देशों में हमारे हिंदी लिखने-पढ़ने व बोलने वाले साहित्यकार अथवा साहित्य प्रेमी हैं, विश्व के हर उस कोने तक, हम इस पत्रिका के माध्यम से पहुंचें।

इस कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए प्रसिद्ध गायिका डॉली गुलेरिया ने शिव कुमार बटालवी की रचना भट्ठी वालिए चंबे दिए डालिए नी पीड़ा दा परागा भुन्न दे। तैंनू दियां हंजुआं दा भाड़ा नी पीड़ां दा परागा भुन्न दे, सुनाई। पत्रिका के विषय में बोलते हुए उन्होंने कहा कि कवितावली अपनी भारतीय सभ्यता के विस्तार को लेकर चल रही है इसमें प्रकाशित रचनाएं पाठकों को भारतीय संस्कृति की जड़ों से जुड़ने का संदेश दे रही हैं।

इस अवसर पर महाराष्ट्र से मंजू अशोक राजा भोज, इंडोनेशिया से वैशाली रस्तौगी, चण्डीगढ़ से गज़लकार एसएल धवन, मोहाली से शीनू वालिया व पंचकूला से सीता श्याम ने बेहतरीन रचनाओं का काव्य पाठ किया और अंत में पत्रिका की संयुक्त संपादिका संतोष गर्ग ने डॉली गुलेरिया के गीत नी इक मेरी अक्ख काशनी, दूजा रात दे उनींदरे ने मारिया सुनाकर माहौल को खुशनुमा बना दिया।