Sunday, December 22

पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य करान चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं : तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।

डेमोक्रेटिक फ्रंट, आध्यात्मिक डेस्क – पंचांग, 26  जून 2024

ज्योतिष में 27 नक्षत्र होते है. शुरुआत अश्विनी से होती है तो अंतिम नक्षत्र रेवती होती है। लेकिन अंतिम 5 नक्षत्र धनिष्ठा, शतभिषा, उत्तरा भाद्रपद, पूर्वा भाद्रपद और रेवती आते है. इन पांचों को पंचक कहा जाता है। हिंदू धर्म में पंचक के दौरान कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित है, क्योंकि इसे अशुभ नक्षत्र माना जाता है और अशुभ समय में किया गया कोई कार्य शुभ परिणाम नहीं देता है। जून में पंचक 26 जून 2024 को प्रात: 01.49 मिनट से शुरू हो जाएगा। इसकी समाप्ति 30 जून 2024 को सुबह 07.34 मिनट पर होगी। बुधवार से शुरू होने वाले पंचक को अशुभ नहीं माना जाता है।

पंचक : भय और निदान

विक्रमी संवत्ः 2081, 

शक संवत्ः 1946, 

मासः आषाढ़ 

पक्षः कृष्ण, 

तिथिः पंचमी रात्रिः काल 08.56 तक है, 

वारः बुधवार। 

नोटः आप उत्तर दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर बुधवार को राई का दान, लाल सरसों का दान देकर यात्रा करें।

नक्षत्रः धनिष्ठा दोपहर काल 01.05 तक है, 

योगः विष्कुम्भक प्रातः काल 06.14 तक है, 

करणः कौलव, 

सूर्य राशिः मिथुन, चन्द्र राशिः कुम्भ, 

राहू कालः दोपहर 12.00 बजे से 1.30 बजे तक, 

सूर्योदयः 05.29, सूर्यास्तः 07.19 बजे।