तय समय में नही पूरे हो सकें बाढ़ बचाव कार्य

बरसात सिर पर की जगह शुरू भी नहीं हुए कार्य

कोशिक खान, डेमोक्रेटिक फ्रंट, छछरौली, 26  जून :

मानसून सत्र सिर पर और सिंचाई विभाग द्वारा बाढ़ राहत बचाव कार्यो में अभी तक आधे से ज्यादा साइटों पर कार्य पूरा होना तो दूर की बात है अभी कार्य शुरू भी नहीं किया गया। जो ग्रामीणों व किसानों के लिए चिंता विषय बने हुए हैं।

                     इस वर्ष सिंचाई विभाग द्वारा पूरे जिले में लगभग 100 करोड़ रुपए से भी ज्यादा के बाढ़ बचाव राहत कार्यों के लिए फंड जारी किया गया था। इसके लिए टेंडर प्रक्रिया के बाद काम शुरू किया गया। टेंडर प्रक्रिया में पूरे जिले में होने वाले कार्यो का लगभग 80 प्रतिशत कार्य एक ही फर्म के नाम अलॉट हुए है। यह सभी कार्य पत्थर द्वारा कराए जाने थे। यह फर्म टेंडर प्रक्रिया मे काम लेने में तो कामयाब रही पर कार्य करने में असमर्थ रही। इस फर्म के कार्य पत्थर की कमी के कारण आधे से ज्यादा काम पूरे नही हो पाएं। क्योंकि अधिकतर साइटों पर ना तो पत्थर पहुंच पाया है और जहां पत्थर पहुंचा है वहा पूरा नहीं हुआ है। ऐसे में ना पत्थर पूरा ना होने को लेकर सिंचाई विभाग द्वारा पत्थर की पेमाइश का कार्य भी अधूरा पड़ा है। जब पेमाइश और पत्थर ही नही पहुंचा तो तय सीमा तक कार्य पूरा कैसे संभव है। इस बात का अंदाजा सहज ही लगाया का सकता है। 

स्थानीय फर्मों ने कर दिया काम पूरा —

 बाढ़ राहत कार्य के लिए स्थानीय फर्म द्वारा काम लगभग पूरा किया जा चुका है और पैमाईश के बाद पत्थर भी रिलीज किया जा चुका हैं और साइट पर पत्थर भी लगाया जा चुका हैं। इनमे माजरा,कलेसर,खानूवाला,लोपयो,तिहानों आदि साइट शामिल है। वही पिरथीपुर,सिंहपुरा,नगली,मद्दीपुर,आदि इसी साइट है जहा पर अभी तक पत्थर ही पूरा नहीं हो पाया है। ऐसे में इन जगहों पर समय रहते काम पूरा नहीं किया जा सकता। 

पत्थर के बिल की होनी चाहिए जांच।

सिंचाई विभाग द्वारा जितने भी बाढ़ राहत के कार्य किए जा रहे हैं उनमें अधिकतर पत्थर लगाने से सबंधित कार्य है। जहां पर ये पत्थर लगाया जा रहा है वो सब यमुना नदी से चोरी का आ रहा है। ऐसे में फर्म द्वारा पत्थर के बिल फर्जी लगाए जा सकते है क्योंकि क्षेत्र में खनन के कार्य पर प्रतिबंध है और जिस जगह से पत्थर लाया जा रहा है वहा पर खनन का कार्य भी नही किया जा सकता। इस प्रकार करोड़ो के फर्जी बिल चढ़ाकर पेमेंट करवाई जाएगी।