पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य करान चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं : तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।
डेमोक्रेटिक फ्रंट, आध्यात्मिक डेस्क – पंचांग, 20 जून 2024
नोटः आज से वर्षा ऋतु प्रारम्भ हो रही हैं।
विक्रमी संवत्ः 2081,
शक संवत्ः 1946,
मासः ज्येष्ठ
पक्षः शुक्ल,
तिथिः त्रयोदशी प्रातः काल 07.51 तक है,
वारः गुरूवार।
नोटः आप दक्षिण दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर गुरूवार को दही पूरी खाकर और माथे में पीला चंदन केसर के साथ लगाये और इन्हीं वस्तुओं का दान योग्य ब्रह्मण को देकर यात्रा करें।
नक्षत्रः अनुराधा सांय काल 06.10 तक है,
योगः साध्य रात्रि काल 08.12 तक है,
करणः तैतिल,
सूर्य राशिः मिथुन, चन्द्र राशिः वृश्चिक,
राहू कालः दोपहर 1.30 से 3.00 बजे तक,
सूर्योदयः 05.27, सूर्यास्तः 07.18 बजे।