पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य करान चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं : तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।
डेमोक्रेटिक फ्रंट, आध्यात्मिक डेस्क – पंचांग, 19 जून 2024
नोटः आज प्रदोष व्रत है। प्रदोष वाले दिन प्रात:काल स्नान करने के पश्चात भगवान शिव का षोडषोपचार पूजन करना चाहिए। दिन में केवल फलाहार ग्रहण कर प्रदोषकाल में भगवान शिव का अभिषेक पूजन कर व्रत का पारण करना चाहिए। प्रदोष-व्रत में प्रदोषकाल का बहुत महत्व होता है। प्रदोष वाले दिन प्रदोषकाल में ही भगवान शिव की पूजन संपन्न होना आवश्यक है। अपशब्द न बोलें और ब्रह्मचर्य का पालन करें। पूरे दिन उपावस रखने के बाद सूर्यास्त से एक घंटा पहले नहाकर पूजा करनी होती है। जहां पूजा होनी हो उस जगह को गंगाजल या गौमूत्र से शुद्ध करने के बाद, गाय के गोबर से लीपकर, मंडप तैयार किया जाता है. प्रदोष व्रत कि पूजा में कंबल या कुशा के आसन का प्रयोग किया जाता है।
वट सावित्री व्रताराम्भ हो रहा है। अनेक धर्मग्रंथों के अनुसार मां सीता के आशीर्वाद से बरगद के वृक्ष की महिमा विख्यात हो गई। मान्यता है कि त्रेतायुग में वनवास के दौरान भगवान श्रीराम, लक्ष्मण और सीता के साथ गया में श्राद्धकर्म के लिए आए थे। इसके बाद श्रीराम और लक्ष्मण श्राद्ध कर्म के लिए सामान लेने चले गए। इतने में राजा दशरथ प्रकट हो गए और सीता को ही पिंडदान करने के लिए कहकर मोक्ष दिलाने का निर्देश दिया। माता सीता ने पंडा, फल्गु नदी, गाय, वटवृक्ष और केतकी के फूल को साक्षी मानकर पिंडदान कर दिया। जब भगवान राम आए तो माता सीता ने उन्हें पूरी बात बताई, परंतु श्रीराम को विश्वास नहीं हुआ। तब माता सीता ने जिन्हें साक्षी मानकर पिंडदान किया था उन सबको वह अपने स्वामी श्रीराम के सामने लायीं।
विक्रमी संवत्ः 2081,
शक संवत्ः 1946,
मासः ज्येष्ठ
पक्षः शुक्ल,
तिथिः द्वादशी तिथि प्रातः काल 07.29 तक है,
वारः बुधवार।
नोटः आप उत्तर दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर बुधवार को राई का दान, लाल सरसों का दान देकर यात्रा करें।
नक्षत्रः विशाखा सांय काल 05.23 तक है,
योगः सिद्धि रात्रि काल 09.12 तक है।
करणः बालव,
सूर्य राशिः मिथुन, चन्द्र राशिः वृश्चिक,
राहू कालः दोपहर 12.00 बजे से 1.30 बजे तक,
सूर्योदयः 05.27, सूर्यास्तः 07.18 बजे।