पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य करान चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं : तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।
डेमोक्रेटिक फ्रंट, आध्यात्मिक डेस्क – पंचांग, 22 मई 2024
नोटः श्रीछिन्नमस्तिका जयंती व्रत एवं पूजन है।मां छिन्नमस्ता को दस महाविद्याओं में छठी महाविद्या माना जाता है। मां छिन्नमस्ता की कृपा प्राप्त करने के लिए छिन्नमस्ता जयंती का उत्सव मनाया जाता है। हर साल वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को छिन्नमस्ता जयंती मनाई जाती है। इस साल छिन्नमस्ता जयंती आज यानी 21 मई 2024, दिन मंगलवार को मनाई जाएगी।
विक्रमी संवत्ः 2081,
शक संवत्ः 1946,
मासः वैशाख
पक्षः शुक्ल,
तिथिः चतुर्दशी सांय काल 06.48 तक है,
वारः बुधवार।
नोटः आज उत्तर दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर बुधवार को राई का दान, लाल सरसों का दान देकर यात्रा करें।
नक्षत्रः स्वाती प्रातः काल 07.47 तक है,
योगः वरीयान दोपहर काल 12.37 है,
करणः गर,
सूर्य राशिः वृष, चन्द्र राशिः तुला,
राहू कालः दोपहर 12.00 बजे से 1.30 बजे तक,
सूर्योदयः 05.31, सूर्यास्तः 07.05 बजे।