पंचांग 16 मई 2024

पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य करान चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं : तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।

डेमोक्रेटिक फ्रंट, आध्यात्मिक डेस्क – पंचांग, 16 मई 2024

नोटः आज श्री जानकी (सीता) जयंती है। एवं श्री बंगलामुखी जयंती।

श्री बंगलामुखी जयंती

श्री बंगलामुखी जयंती : मां बगलामुखी को तंत्र की देवी माना जाता है। देवी बगलामुखी के स्वरूप की बात करें तो देवी स्वर्ण वर्ण की हैं और एक अर्धचन्द्राकार चन्द्रमा उनके मस्तक पर सुशोभित रहता है। मां बगलामुखी अपने भक्तों के भय से मुक्त करती हैं और बुरी शक्तियों का नाश करती हैं।

श्री जानकी (सीता) जयंती

श्री जानकी (सीता) जयंती : आज यानी कि 16 मई 2024 को सीता नवमी मनाई जा रही है। इस दिन मां सीता की विधिपूर्वक पूजा और व्रत रखने का विधान है। हर साल वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को सीता नवमी का त्यौहार मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार,  इसी दिन माता सीता धरती पर प्रकट हुई थीं। इसीलिए आज के दिन को सीता नवमी के रूप में मनाया जाता है। बता दें कि सीता जी राजा जनक की पुत्री थीं, इसलिए उनका एक नाम जानकी भी है। सीता नवमी को जानकी जयंती के नाम से भी जाना जाता है। भी जाना जाता है।

विक्रमी संवत्ः 2081, 

शक संवत्ः 1946, 

मासः वैशाख 

पक्षः शुक्ल, 

तिथिः अष्टमी की वृद्धि है जो कि गुरूवार को प्रातः काल 06.23 तक है, 

वारः गुरूवार।

नोटः आज दक्षिण दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर गुरूवार को दही पूरी खाकर और माथे में पीला चंदन केसर के साथ लगाये और इन्हीं वस्तुओं का दान योग्य ब्रह्मण को देकर यात्रा करें।

नक्षत्रः मघा सांय काल 06.14 तक हैं, 

योगः धु्रव प्रातः काल 08.23 तक, 

करणः बव, 

सूर्य राशिः  वृष, चन्द्र राशिः  सिंह,

राहू कालः दोपहर 1.30 से 3.00 बजे तक, 

सूर्योदयः 05.34, सूर्यास्तः 07.02 बजे।