पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य करान चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं : तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।
डेमोक्रेटिक फ्रंट, आध्यात्मिक डेस्क – पंचांग, 30 अप्रैल 2024
नोटः सप्तमी तिथि का क्षय है। अगर किसी तिथि की अवधि 24 घंटे से कम है और वह सूर्यादय के बाद शुरू हुई और अगले दिन सूर्यादय से पहले ही खत्म हो जाए तो इसे तिथि क्षय कहते हैं। वैशाख में कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि का क्षय हो रहा है।
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विक्रमी संवत्ः 2081,
शक संवत्ः 1946,
मासः वैशाख
पक्षः कृष्ण,
तिथिः षष्ठी प्रातः काल 07.06 तक है,
वारः मंगलवार।
नोटः आज उत्तर दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर मंगलवार को धनिया खाकर, लाल चंदन, मलयागिरि चंदन का दानकर यात्रा करें।
नक्षत्रः उत्तराषाढ़ा रात्रि काल 04.09 तक हैं,
योगः साध्य रात्रि काल 10.24 तक,
करणः वणिज,
सूर्य राशिः मेष, चन्द्र राशिः धनु,
राहु कालः अपराहन् 3.00 से 4.30 बजे तक,
सूर्योदयः 05.49, सूर्यास्तः 06.52 बजे।