नव संवत्सर 2081 के उपलक्ष्य में भव्य कवि सम्मेलन 

एम० के० साहित्य अकादमी ने उठाया बीड़ा.. करेगी हर प्रांत में कवि सम्मेलन 9

डेमोक्रेटिक फ्रंट, पंचकुला – 23 अप्रैल :

              एम० के० साहित्य अकादमी पंचकूला की अध्यक्ष डॉ. प्रतिभा ‘माही’ ने कई वर्षों से बीड़ा उठाया हुआ है कि  वो ट्राइसिटी से बाहर अलग अलग प्रांतों व शहरों में कवि सम्मेलन आयोजित करेंगी। पिछले दो वर्षों में एम० के० साहित्य अकादमी पंचकूला द्वारा दिल्ली, अंबाला, नीलोखेड़ी, करनाल व पंचकूला में लगभग 10-12 राष्ट्रीय कवि सम्मेलन आयोजित कर चुकी हैं। 

     अभी हाल ही में नव संवत्सर 2081 के उपलक्ष्य में एक और “भव्य कवि सम्मेलन” का आयोजन ब्रह्माकुमारी प्रेम दीदी के सहयोग से 21 फरवरी 2024 को   ब्रह्माकुमारी , सेक्टर – 7 , करनाल (हरियाणा) के प्रांगण में आयोजित किया गया।

       इस समारोह मै देश के अलग- अलग प्रान्तों से प्रख्यात साहित्यकार व कवि उपस्थित हुए। ब्रह्माकुमारी बहनों ने सभी का स्वागत व सम्मान किया।  श्री दिनेश शर्मा दिनेश  ने  मंच को संभालते हुए दीप प्रज्ज्वलित करवाया ,  एक नृत्य के माध्यम से वन्दना करवा कार्यक्रम को  आगे बढ़ाया। ब्रह्मकुमार मनोज खुशनुमा ने शिव बाबा के गीतों से कवि सम्मेलन का आगाज हुआ और कवि सम्मेलन धीरे-धीरे अपनी उड़ान भरने लगा।

       कवि राधाकान्त पाण्डेय ने अपने छंदों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर लिया और  शौर्य व शक्ति की बात कही। 

फिर मंच पर उतरे हास्य व्यंग के जाने माने कवि विनीत पांडेय (दिल्ली) जो कई वर्षों से लपेटे में नेताजी टीवी कार्यक्रम का हिस्सा बने हुए हैं। अपने छोटे छोटे हंसगुल्ले परोस कर श्रोताओं को लोट-पोट कर दिया ।

        उनके बाद बारी आई संचालन कर रहे कवि दिनेश शर्मा की, जो प्रख्यात कवि भी हैं और एक अच्छे लेखक भी हैं। जिन्होंने समाज की परिस्थितियों को बदलने के लिए ईश्वर से गुहार लगाते हुए कहा..

हे गिरधारी कलियुग में फिर , तुमको आना होगा।।” तत्पश्चात विख्यात गीतकार और गज़लकार चरणजीत चरण ने अपने संस्कारों पर आधारित छंदों से श्रोताओं  मां मन  मोह लिया। 

सभी कवियों ने अपनी-अपनी प्रस्तुति  पर श्रोताओं से ढेरों तालियां बटोरीं। 

            यह समारोह माननीय मुख्य अतिथि: डॉ० आशिमा गक्खड़ (प्राचार्या दयाल कॉलेज करनाल)  के सानिध्य में किया गया। उन्होंने कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा कि  वो इस तरह के कवि सम्मेलन का बार बार आनंद लेना चाहेंगी।

      अंत में डॉ. प्रतिभा ‘माही’ (वरिष्ठ साहित्यकार व मंचीय कवयित्री) ने इस कवि सम्मेलन की  अध्यक्षता करते हुए अपने वक्तव्य में बताया कि   इस काव्य उत्सव का उद्देश्य वैश्विक संस्कृति, प्रेम, शान्ति सद्भाव को समर्पित हो नव संवत्सर के महत्व को समझाना है तथा हिन्द वासियों को हिन्दू नव वर्ष मानने को प्रोत्साहित करना है। डॉ. प्रतिभा ‘माही’ ने यह भी बताया कि कला व संस्कृति के माध्यम से अच्छे संस्कारों को समाज में जीवित रखा जा सकता है, समाज को एक नई दिशा प्रदान की जा सकती है और समाज में परिवर्तन भी लाया जा सकता है। 

प्रेम दीदी  ने अपने सात्विक विचार रखे और और कहा  प्रतिभा माही पहले भी हमारे साथ मिलकर इस तरह के कार्यक्रम करती रहीं हैं  आगे भी करती  रहें। मैं उन्हें बाबा की तरफ से आशीष देती हूं।      

         इस तरह कार्यक्रम अपनी चरम सीमा पर पहुंच गया। सभी श्रोता मंत्रमुग्ध हो गए। तालियों से पूरा प्रांगण गूंजने लगा। सभी कवियों ने कार्यक्रम को सातवें आसमान पर पहुंचा दिया। कार्यक्रम संपूर्ण दृष्टि से सफल रहा। जिसका श्रेय डॉ. प्रतिभा ‘माही की हिम्मत को और ब्रह्माकुमारी  प्रेम दीदी की टीम को जाता है।