Panchang

पंचांग, 16 अप्रैल 2024

पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य करान चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं : तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।

डेमोक्रेटिक फ्रंट, आध्यात्मिक डेस्क – पंचांग, 16 अप्रैल 2024

नोटः आज श्री दुर्गाष्टमीव्रत, भवान्युत्पत्ति, मेला बाहूफोर्ट (जम्मू)- कांगड़ा देवी-नैना देवी (हि. प्र.), अन्नपूर्णा पूजन, गुरू कृत्तिका में।

श्री दुर्गाष्टमीव्रत : चैत्र नवरात्र की अष्टमी और नवमी पर कन्या पूजन और हवन कर नवरात्र का व्रत संपन्न होता है। चैत्र नवरात्र की अष्टमी 16 अप्रैल को होगी। वहीं 17 अप्रैल को महानवमी पर भगवान श्रीराम का जन्मोत्सव मनाया जाएगा।

अन्नपूर्णा पूजन : अन्नपूर्णा जयंती के दिन प्रातः जल्दी उठकर स्नानादि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। फिर पूरे घर और रसोई, चूल्हे की अच्छे से साफ-सफाई करें और गंगाजल छिड़ककर शुद्ध करें। खाने के चूल्हे पर हल्दी, कुमकुम, चावल पुष्प अर्पित करें और धूप दीप प्रज्वलित करें। इस दिन मां अन्नपूर्णा के साथ माता पार्वती और शिव जी की पूजा करें।

मेला बाहूफोर्ट : किला मूल रूप से राजा बाहुलोचन द्वारा बनाया गया था और बाद में डोगरा राजाओं द्वारा संशोधित किया गया था। मूल संरचना 3000 वर्ष से अधिक पुरानी है। तीर्थयात्री मंगलवार और रविवार को मंदिर में आते हैं, जिन्हें शुभ माना जाता है। रानी की समाधि पर हर बैसाखी पर मेला लगता है। बयुशरवा ने सीमाओं को उझ नदी तक बढ़ाया। बायुषर्व के प्रपौत्र बाहुलोचन को उनकी मृत्यु के बाद राजगद्दी पर बैठाया गया। वह इरवान से चला गया और तवी नदी के बाएं किनारे पर अपना किला बनाया और इसे अपनी शक्ति का केंद्र बनाया।

गुरू कृत्तिका में देवताओं के गुरु बृहस्पति 16 अप्रैल को कृतिका नक्षत्र में परिवर्तन करने जा रहे हैं। आपको बता दें कि कृतिका नक्षत्र में सूर्य देव का आधिपत्य है ।

विक्रमी संवत्ः 2081, शक संवत्ः 1946, मासः चैत्र, पक्षः शुक्ल, तिथिः  अष्टमी दोपहर काल 01.25 तक है, वारः मंगलवार। 

नोटः आज उत्तर दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर मंगलवार को धनिया खाकर, लाल चंदन,मलयागिरि चंदन का दानकर यात्रा करें।

नक्षत्रः  पुष्य प्रातः काल 05.16 तक है, योगः वैधृति़ रात्रि काल 11.16 तक, करणः बव, 

सूर्य राशिः मेष, चन्द्र राशिः कर्क,   

राहु कालः अपराहन् 3.00 से 4.30 बजे तक,

सूर्योदयः 05.58, सूर्यास्तः 06.44 बजे।