पंचांग, 11 अप्रैल 2024
पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य करान चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं : तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।
डेमोक्रेटिक फ्रंट, आध्यात्मिक डेस्क – पंचांग, 11 अप्रैल 2024
नोटः आज गणगौरी तृतीया व्रत तथा श्री मत्स्यजयंती है।
गणगौरी तृतीया व्रत : गणगौर या गौरी तृतीया एक जीवंत धार्मिक त्योहार है जो देवी पार्वती और भगवान शिव के दिव्य प्रेम का जश्न मनाता है। गणगौर होली के बाद मनाई जाती है: हिंदू कैलेंडर के चैत्र माह में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को रंग के अनुसार। गणगौर या गौर माता एक स्थानीय देवी और भगवान शिव की पत्नी देवी पार्वती का एक रूप हैं।
श्री मत्स्यजयंती : आज मत्स्य जयंती है. इन्हें विष्णु जी का पहला अवतार माना जाता है जिन्होंने वैवस्वत मनु को बाढ़ से बचाया था। इस अवतार में विष्णु जी मछली बन कर प्रकट हुए थे। मत्स्य जयन्ती चैत्र माह में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है, जो इस बार 11 अप्रैल 2024 को पड़ रही है। इस दिन मत्स्य अवतार में विष्णुजी की पूजा की जाती है। इस दिन भगवान नारायण ने मध्याह्नोत्तर बेला में पुष्पभद्रा तट पर मत्स्य रूप धारण कर विश्व कल्याण किया था।
विक्रमी संवत्ः 2081,
शक संवत्ः 1946,
मासः चैत्र,
पक्षः शुक्ल,
तिथिः तृतीया अपराहन् काल 03.04 तक है,
वारः गुरूवार।
नोटः आज दक्षिण दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर गुरूवार को दही पूरी खाकर और माथे में पीला चंदन केसर के साथ लगाये और इन्हीं वस्तुओं का दान योग्य ब्रह्मण को देकर यात्रा करें।
नक्षत्रः कृत्तिका रात्रि काल 01.38 तक है,
योगः प्रीति प्रातः काल 07.19 तक,
करणः गर,
सूर्य राशिः मीन, चन्द्र राशिः मेष,
राहु कालः दोपहर 1.30 से 3.00 बजे तक,
सूर्योदयः 06.05, सूर्यास्तः 06.40 बजे।