CAA लागू हुआ, अब देश भर में गैर – मुस्लिम शरणार्थियों को मिलेगी नागरिकता

लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार ने बड़ा दांव खेल दिया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सीएए का नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। इस बात पर पहले भी चर्चा हुई थी कि गृह मंत्रालय सीएए को लेकर कोई बड़ा फैसला करने जा रहा है। गृह मंत्री अमित शाह कई बार अपनी रैलियों से भी सीएए को लागू करने की बात कह चुके हैं। नोटिफिकेशन जारी होने के बाद देश भर में 11 मार्च यानी आज से सीएए का कानून लागू हो गया है। बता दें कि सीएए को देश की संसद से पारित हुए लगभग 5 साल पूरे हो गए हैं।

सीएए की घोषणा से पश्चिम बंगाल के मतुआ समुदाय में जश्न का माहौल है
  • नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) नियमों की अधिसूचना आज सोमवार को जारी हो गई है
  • सीएए दिसंबर 2019 में पारित हुआ था और बाद में इसे राष्ट्रपति की मंजूरी भी मिल गई थी
  • CAA में छह गैर-मुस्लिम समुदायों हिंदू, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध और पारसी शामिल हैं
  • हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि सीएए का कार्यान्वयन कोई नहीं रोक सकता
  • अगर लोगों को नियमों के तहत उनके अधिकारों से वंचित किया जाता है, तो हम इसके खिलाफ लड़ेंगे : ममता बनर्जी

सारिका तिवारी, डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़, 11 मार्च :

सीएए को दिसंबर, 2019 में पारित किया गया था और बाद में इसे राष्ट्रपति की मंजूरी भी मिल गई थी, लेकिन इसके खिलाफ देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गये थे। यह कानून अब तक लागू नहीं हो सका है, क्योंकि इसके कार्यान्वयन के लिए नियमों को अधिसूचित किया जाना बाकी था। इस कानून को लाने का मकसद भारत के पड़ोसी देशों में रह रहे गैर-मुस्लिम अल्‍पसंख्‍यकों को नागरिकता प्रदान करना है। पड़ोसी देशों में अल्‍पसंख्‍यकों की दयनीय स्थिति को देखते हुए यह कानून केंद्र सरकार लेकर आई थी, जिसके पास होने के बाद अब अधिसूचन जारी की जा रही है।

विवादास्पद नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए), 2019 को लागू करने से जुड़े नियमों को सोमवार को अधिसूचित किए जाने की संभावना है. सूत्रों ने यह जानकारी दी। सीएए पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए बिना दस्तावेज वाले गैर-मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता देने के लिए है। सीएए के नियम जारी हो जाने के बाद अब मोदी सरकार 31 दिसंबर, 2014 तक भारत आए बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के प्रताड़ित गैर-मुस्लिम प्रवासियों (हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई) को भारतीय नागरिकता देना शुरू कर देगी।

अब लोकसभा चुनाव 2024 से कुछ ही सप्ताह पहले इसे अधिसूचित कर दिया गया है, क्योंकि आचार संहिता लागू होने के बाद ये संभव नहीं हो पाता। इसके लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन पोर्टल बनाया गया है, जिसका प्रशिक्षण पहले ही पूरा कर लिया गया है। जिलों के प्रशासन को लॉन्ग टर्म वीजा देने के लिए अधिकृत कर दिया गया है।

सीएए नियमों के तहत ऑनलाइन पोर्टल के जरिए आवेदन मांगे जाएंगे। इस प्रक्रिया का काम पूरा हो चुका है। नागरिकता संशोधन अधिनियम के नियमों के तहत भारत के तीन मुस्लिम पड़ोसी देश, जिनमें पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान शामिल हैं, से आए गैर मुस्लिम प्रवासी लोगों के लिए भारत की नागरिकता लेने के नियम आसान हो जाएंगे। इन छह समुदायों में हिंदू, ईसाई, सिख, जैन, बौद्ध और पारसी, शामिल हैं। नागरिकता संशोधन विधेयक 11 दिसंबर, 2019 को संसद द्वारा पारित किया गया था। एक दिन बाद ही इस विधेयक को राष्ट्रपति की सहमति मिल गई थी। सीएए के जरिए पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई समुदायों से संबंधित अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता लेने में आसानी होगी।

सीएए, किसी व्यक्ति को खुद नागरिकता नहीं देता है। इसके जरिए पात्र व्यक्ति, आवेदन करने के योग्य बनता है। यह कानून उन लोगों पर लागू होगा, जो 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से भारत आए थे। इसमें प्रवासियों को वह अवधि साबित करनी होगी कि वे इतने समय में भारत में रह चुके हैं। उन्हें यह भी साबित करना होगा कि वे अपने देशों से धार्मिक उत्पीड़न की वजह से भारत आए हैं। वे लोग उन भाषाओं को बोलते हैं, जो संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल हैं। उन्हें नागरिक कानून 1955 की तीसरी सूची की अनिवार्यताओं को भी पूरा करना होगा। इसके बाद ही प्रवासी आवेदन के पात्र होंगे।