प्रोफेसर्स की पक्की भर्ती की मांग को लेकर आज निकालेंगे मौन जुलूस : प्रोफेसर सुभाष सपड़ा

  • हरियाणा के राजकीय कॉलेजों में खाली पड़े सहायक प्रोफेसर्स के हजारों पदों पर पक्की भर्ती की मांग को लेकर आज निकालेंगे मौन जुलूस: सुभाष सपड़ा

डेमोक्रेटिक फ्रंट, पंचकुला – 05 मार्च    :

प्रदेश के राजकीय कॉलेजों में खाली पड़े सहायक प्रोफेसरों के हजारों पदों पर रेगुलर भर्ती की मांग को लेकर हरियाणा एस्पाइरिंग असिस्टेंट प्रोफेसर एसोसिएशन  लगातार संघर्ष कर रहा है। लंबे समय से चली आ रही इन मांगो को लेकर सैकड़ो नेट/स्कॉलर्स/टॉपर्स आज 06 मार्च को पंचकूला  में मौन जुलूस निकालेंगे। हापा के संस्थापक सदस्य व हरियाणा राजकीय कॉलेज टीचर्स एसोसिएशन (HGCTA) के पूर्व प्रादेशिक उपाध्यक्ष प्रोफेसर सुभाष सपड़ा ने बताया कि इस प्रदर्शन की सभी तैयारियां पूरी हो गई हैं। प्रदर्शन के लिए प्रदेश के सैकड़ो बेरोजगार युवा अभ्यर्थी पंचकूला  में इकट्ठा हो रहे हैं, जहां मौन जुलूस निकालते हुए प्रदेश सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे।

प्रोफेसर सपड़ा ने बताया कि हरियाणा में सरकार द्वारा वर्ष 2019 में कुल 524 पदों पर कुछ ही विषयों में आखिरी बार सहायक प्रोफेसर प्रोफेसरों की भर्ती की गई थी। आधे से अधिक विषय ऐसे भी हैं जिनपर वर्ष 2016 के बाद से अब तक भर्ती नहीं हुई है। जबकि प्रदेश सरकार ने रेगुलर भर्ती के संबंध में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में एक हलफनामा देकर बताया था कि राज्य के राजकीय कॉलेज में सहायक प्रोफेसर प्रोफेसर के कुल 8137 पद स्वीकृत हैं, जिसमें से कुल 4738 पद रिक्त हैं अर्थात कुल का 60 फ़ीसदी पोस्ट रिक्त हैं। सरकार पक्की भर्ती के नियमों में संशोधन का हवाला देकर इसे टालती आ रही है। मार्च 2020 में उच्चतर शिक्षा विभाग हरियाणा ने 2592 असिस्टेंट प्रोफेसरों के पदों की नई नियुक्तियों की स्वीकृति दी थी। परंतु यह फाइल भी इधर उधर कार्यालयों में धूल चाट रही है। 

प्रोफेसर सुभाष सपड़ा ने बताया कि हरियाणा प्रदेश के राजकीय कॉलेजों में करीब 2000 एक्सटेंशन लेक्चर बिना किसी पारदर्शी भर्ती प्रक्रिया व बिना आरक्षण नीति को लागू किए कार्य कर रहे हैं। 4 मार्च 2020 को एक्सटेंशन लेक्चरर्स की गैरकानूनी तरीके से नई नीति बनाकर फर्जीवाड़ा कर इनको किसी न किसी तरह से कालेजों समायोजित किया जा रहा है। 

अब जबकि प्रदेश सरकार 3 जनवरी 2024 की केबिनेट मीटिंग में भर्ती के नियमों में संशोधन की मंजूरी भी ले चुकी है। इसके बावजूद सहायक प्रोफेसर्स की नियमित नियुक्ति नहीं होने से इन पदों के हजारों उम्मीदवारों में मायूसी है। और नौकरी की अधिकतम आयु सीमा पार कर रहे हैं।

रेगुलर सहायक प्रोफेसर्स की पक्की व नई भर्ती की मांगों को लेकर प्रदेश के सैकड़ो बेरोजगार युवा अभ्यर्थी पंचकूला व चंडीगढ़ की सड़कों पर संघर्ष कर रहे हैं।