एडवोकेट वासु रंजन शांडिल्य की दलीलों के बाद हाईकोर्ट ने पॉस्को एक्ट में 20 साल की सजा को किया निलंबित
अंबाला के बलदेव नगर थाना में 16 मई 2020 को शशि के खिलाफ हुआ था पोस्को एक्ट में मामला दर्ज, जस्टिस अरूण पल्ली एवं विक्रम अग्रवाल की खंडपीठ ने दिया वासु रंजन शांडिल्य की दलीलों पर ऐतिहासिक फैसला, अंबाला फास्ट ट्रैक कोर्ट से हुई थी 20 साल की सजा
कोरल ‘पुरनूर’, डेमोक्रेटिक फ्रंट, पंचकुला – 28 फरवरी :
पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट वासु रंजन शांडिल्य की अपील पर हाई कोर्ट ने सुनवाई करते हुए अंबाला के शशी नाम के व्यक्ति की पोस्को एक्ट सहित अन्य धाराओं में 20 साल की सजा को निलंबित कर दिया। हाई कोर्ट में जस्टिस अरूण पल्ली एवं विक्रम अग्रवाल की खंडपीठ के समक्ष एडवोकेट वासु रंजन शांडिल्य ने अपना पक्ष रखते हुए अदालत के समक्ष पुख्ता दलीले रखी और कहा कि ट्रायल कोर्ट ने आरोपी को बेगुनाही साबित करने का भी मौका नहीं दिया गया और 20 साल की सजा सुना दी। एडवोकेट वासु रंजन शांडिल्य से जस्टिस अरूण पल्ली एवं विक्रम अग्रवाल की खंडपीठ ने कई सवाल किए जिस पर याचिका कर्ता शशी के वकील वासु रंजन शांडिल्य ने कानूनी दलीले पेश कर अदालत में इस बात को साबित किया कि ट्रायल कोर्ट ने पोस्को एक्ट सहित अन्य धाराओं में गलत सजा दी है। हाईकोर्ट ने एडवोकेट वासु रंजन शांडिल्य व उनके साथ पेश हुए एडवोकेट सागर शर्मा की दलीलों के बाद पोस्को एक्ट सहित अन्य धाराओं में दोषी शशी की 20 साल की सजा को निलंबित करते हुए दोषी को राहत दी। एडवोकेट वासु रंजन शांडिल्य ने 17 जनवरी 2023 के अंबाला की फर्स्ट ट्रैक कोर्ट के आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील दायर की थी जिसपर हाई कोर्ट विद्वान खंडपीठ ने यह ऐतिहासिक फैसला लिया। 16 मई 2020 को अंबाला निवासी शशी के खिलाफ बलदेव नगर पुलिस ने नाबालिग को बहला फुसला कर ले जाने और विवाह करवाने के बाद शारीरिक संबंध स्थापित करने के आरोप में एफआईआर दर्ज हुई थी और पीड़ित ने 164 के ब्यानों में कहा था कि आरोपी उसे बहला फुसला कर ले गया और विवाह रचाया और 15 दिन तक उसका यौन शोषण किया और धमकियां देता रहा जिसपर पुलिस ने 506 की भी एफआईआर में जोड़ी गई थी। और ट्रायल कोर्ट ने 18 जनवरी 2023 को फोरेंसिक रिपोर्ट को आधार बनाते हुए 20 साल की सजा और 10 हजार रूपए जुर्माना लगाया था।
वहीं आरोपी की तरफ से एडवोकेट वासु रंजन शांडिल्य ने कहा कि सुनवाई के दौरान शिकायतकर्ता और पीड़िता दोनों ने आरोपों से इंकार किया और पीड़िता ने कोर्ट में कहा कि पुलिस ने उसे डरा धमा कर ब्यान लिए हैं और उसके बावजूद भी फास्ट ट्रैक कोर्ट ने 20 साल की सजा सुना दी। एडवोकेट वासु रंजन शांडिल्य व एडवोकेट सागर शर्मा को सुनने के बाद कहा कि अपील कर्ता लगभग दो साल सलाखों के पीछे रह चुका है। सजा के खिलाफ अपील के विचाराधीन रहते सजा सस्पेंड करने के निर्देश दिए जा रहे हैं। अब इस मामले में 4 मार्च 2024 को पुन: सुनवाई होगी। एडवोकेट वासु रंजन शांडिल्य ने पत्रकारों को बताया कि हमने हाई कोर्ट के समक्ष अपील में अपने आप को निर्दोष बताया और कहा कि ट्रायल कोर्ट ने आरोपी को बेगुनाही साबित करने का मौका ही नहीं दिया और ना ही सबूत के तौर पर पेश किए गए दस्तावेजों व फोरेंसिक रिपोर्ट की ध्यानपूर्वक समीक्षा की गई। जिसके बाद हाईकोर्ट ने 20 साल की सजा को निलंबित करने के आदेश दिए। शांडिल्य ने कहा कि वह हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं।