भारत में सतत विकास पर हुआ एसडी कॉलेज में हुआ इंटरनेशनल सेमिनार का आयोजन

सेमिनार की आयोजन सचिव डॉ. रुचि शर्मा ने टिकाऊ रणनीतियों की आवश्यकता पर दिया बल

डेमोक्रेटिक फ्रंट, चण्डीगढ़ – 27 फरवरी    :

गोस्वामी गणेश दत्त सनातन धर्म कॉलेज, चंडीगढ़ में मंगलवार को भारत में सतत विकास पर इंटरनेशनल सेमिनार का आयोजन किया गया। आईसीएसएसआर द्वारा प्रायोजित इस कार्यक्रम में भारत में सतत विकास की तत्काल जरूरत को संबोधित करने के लिए विभिन्न क्षेत्रों के विद्वानों, विशेषज्ञों और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने अपने विचार रखे। सेमिनार की शुरूआत औपचारिक दीप प्रज्वलन के साथ हुई। डॉ. प्रीति वोहरा ने उपस्थित लोगों का स्वागत करते हुए सेमिनार के उद्देश्यों को रेखांकित किया। कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. अजय शर्मा ने सभी अतिथियों व वक्ताओं का स्वागत किया।

 महर्षि अग्रसेन यूनिवर्सिटी, बद्दी के वाइस-चांसलर प्रो.आरके गुप्ता, पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़ के डीन कॉलेज डेवलपमेंट कौंसिल प्रो.संजय कौशिक, पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, पटियाला के वाइस चेयरमैन प्रो. आदर्श विग विशिष्ट अतिथियों में शामिल थे। मुख्य वक्ता व्रोकला यूनिवर्सिटी ऑफ बिजनेस एंड इकोनॉमिक्स, पोलैंड से प्रोफेसर बारबरा मरोज-गोर्गन और ब्रिटिश कोलंबिया के फ्रेजर वैली यूनिवर्सिटी से प्रोफेसर जियाकोमो मेंगुची ने बहुमूल्य अंतर्दृष्टि प्रदान की। जीजीडीएसडी कॉलेज सोसाइटी के महासचिव प्रो. अनिरुद्ध जोशी ने सेमिनार के विषय पर जोर देते हुए ‘वृक्ष सुरक्षा’ के बैनर तले वृक्षारोपण जैसी स्थायी प्रथाओं का आग्रह किया। आयोजन सचिव डॉ. रुचि शर्मा ने टिकाऊ रणनीतियों की आवश्यकता पर बल देते हुए अपने 169 लक्ष्यों को प्राप्त करने में भारत की चुनौतियों पर प्रकाश डाला।

प्रो. संजय कौशिक की वैश्विक स्थिरता स्थितियों की तुलना ने 17 सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को प्राप्त करने के लिए, विशेष रूप से युवाओं को शामिल करते हुए, सामूहिक प्रयासों के महत्व को रेखांकित किया। प्रो. आदर्श विग ने पर्यावरणीय चुनौतियों से निपटने के लिए आत्म-निरीक्षण पर जोर दिया और युवाओं से सकारात्मक बदलाव के लिए प्रतिबद्धता का आग्रह किया। मुख्य वक्ता प्रोफेसर बारबरा ने ‘इस्तेमाल करो और फेंक दो की संस्कृति’ के हानिकारक प्रभावों पर जोर देते हुए ब्रांडिंग के पर्यावरणीय प्रभाव के बारे में बताया। प्रो. जियाकोमो मेंगुची ने एसडीजी रिपोर्ट से अंतर्दृष्टि साझा की, जिससे उपस्थित लोगों को स्थायी कार्यों के लिए प्रेरित किया गया। प्रो. आरके गुप्ता ने स्थिरता में ‘पंचतत्व’ के महत्व पर प्रकाश डाला, ‘बायोडिग्रेडेबल बरियल पॉड’ की अवधारणा प्रस्तुत की जो मृतक को एक पेड़ में बदल देती है।

पहले तकनीकी सत्र  में एक पैनल चर्चा का आयोजन हुआ जिसमें प्रोफेसर दीपांकर शर्मा, डॉ. दिव्या महाजन, डॉ. नितिन अरोड़ा और डॉ. मनदीप महेंद्रू शामिल थे। उन्होंने अपनी बातचीत में सतत विकास के लिए बुनियादी भारतीय ज्ञान प्रणालियों की वापसी की वकालत करते हुए विविध पहलुओं को शामिल किया। दूसरे तकनीकी सत्र की अध्यक्षता डॉ.स्मिता शर्मा ने की। सत्र में 25 रिसर्च स्कॉलर्स ने सौंदर्य प्रसाधन, म्यूचुअल फंड, ग्रीन जॉब्स और लैंगिक समानता सहित विभिन्न क्षेत्रों में स्थिरता पर अंतर्दृष्टि प्रदान करते हुए शोध पत्र प्रस्तुत किए। “पर्यावरण और स्थिरता” पर तीसरे सत्र की अध्यक्षता प्रोफेसर दीपांकर शर्मा ने की। सत्र में पर्यावरणीय चुनौतियों से निपटने के लिए सामूहिक कार्रवाई की आवश्यकता पर जोर दिया गया। डॉ. नितिन अरोड़ा की अध्यक्षता में “सामाजिक कल्याण और स्थिरता” पर चौथा सत्र आयोजित हुआ। पंजाब यूनिवर्सिटी के इक्ऩॉमिक्स विभाग की अध्यक्ष डॉ. अमृता शेरगिल ने समापन भाषण दिया और राष्ट्र के सतत विकास की बड़ी चुनौतियों से लड़ने के लिए व्यक्तिगत स्तर पर सतर्कता की आवश्यकता पर सबका ध्यान आकर्षित किया। पूरे सेमिनार में 100 से अधिक शोध पत्र प्रस्तुत किए गए और विचारों पर चर्चा की गई।